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. जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ $२४५. को गुणकारो ? अधापवत्तभागहारो चरिमफाली च अण्णोण्णगुणाओ। कुदो ? हेहिमरासिणा तेतीससागरोवमणाणागुणहाणिसलागाणमण्णोण्णभत्थरासीए ओकड्ड कड्डणभागहारपदुप्पण्णअधापवत्तभागहारेण चरिमफालीए च गुणिदाए ओवट्टिददिवडगुणहाणिगुणिदेगेइंदियसमयपवद्धपमाणेण उव रिमगसिम्मि अधापवत्तचरिमफालिगुणगारविरहिदपुव्वुत्तभागहारोवटिददिवड्डगुण हाणिगुणिदेगेदियसमयपबद्धपभाणम्मि भागे हिदे एत्तियमेत्तगुणगारुवलंभादो । पुव्विल्लविगिदिगोवुच्छमस्सियूग एसा गुणगारपरूवणा कया । तत्थतणगुणसेढिगोवुच्छमस्सियूण भण्णमाण पुचिल्लगुणगारो तप्पाओग्गपलिदोवमासंखेज्जभागेण ओवट्टे यव्यो । कारणं सुगम ।
® अपचक्खाणमाणे जहएणपद ससंतकम्ममस खेजगुणं ।
.२४६. कुदो ? अणि पच्छायदपढमपुढविउप्पण्णपढमसमयवट्टमाणखविदकम्मंसियम्मि पत्तजहण्णसामित्तणेण एक्किस्से वि गुणहाणीए गलणाभावादो । मिच्छत्तस्स पुण अंतोमुहुत्तूणतेत्तीससागरोवममेत्तकालं गालिय जहण्णसामित्तविहाणेण तेत्ति यमेत्तगोवुच्छाणं गलणुवलंभादो। अदो चेय तेतीससागरोक्मभंतरणाणागुणहाणिसलागाअण्णोण्णब्भत्थरासी उकड्डणभागहारपदुप्पाइदो एत्थ गुणगारो।
२४५. गुणकार क्या है ? अधःप्रवृत्तभागहार और अन्तिम फालि इनको परस्पर गुणा करनेपर जो लब्ध आवे उतना गुणकार है, क्योंकि तेतीस सागरकी नानागुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशिसे, अपकर्षण-उत्कर्षणभागहार गुणित अधःप्रवृत्तभागहारसे और अन्तिम फालिसे गुणित करके जो लब्ध आवे उसका डेढ़ गुणहानिगुणित एकेन्द्रियसम्बन्धी समयप्रबद्धमें भाग देनेपर जो लब्ध आवे तत्प्रमाण अधस्तन राशिको अधःप्रवृत्तकी अन्तिम फालिरूप गुणकारसे रहित पूर्वोक्त भागहारसे भाजित जो डेढ़ गुणहानिगुणित एकेन्द्रियसम्बन्धी समयप्रबद्ध तत्प्रमाण उपरिभ राशिमें भाग देनेपर उक्त प्रमाण गुणकार उपलब्ध होता है। पूर्वोक्त विकृति गोपुच्छाका आश्रय लेकर यह गुणकारकी प्ररूपणा की है। वहाँकी गुणश्रेणिगोपुच्छाका आश्रय लेकर कथन करने पर पूर्वोक्त गुणकारको तत्प्रायोग्य पल्यके असंख्यातवें भागसे भाजित करना चाहिए । कारण सुगम है।
* उससे अप्रत्याख्यान मानमें जघन्य प्रदेशसत्कर्म असंख्यातगुणा है।
२४६. क्योंकि असंज्ञियोंमसे आकर जो क्षपित कर्माशिक जीव प्रथम पृथिवीमें उत्पन्न होता है उसके उत्पन्न होने के प्रथम समयमें अप्रत्याख्यान मानका जघन्य स्वामित्व प्राप्त होनेसे एक भी गुणहानिका गलन नहीं हुआ है। परन्तु मिथ्यात्वका अन्तर्मुहूर्त कम तेतीस सागर काल व्यतीत कर जघन्य स्वामित्व प्राप्त होनेसे वहाँ उसकी उतनी गोपुच्छाएं गल गई हैं। और इसीलिए ही उत्कर्षणभागहारसे उत्पन्न की गई तेतीस सागरके भीतरकी नानागुणहानिशलाकाओंकी अन्योन्याभ्यस्त राशि यहाँ पर गुणकार है।
१. श्रा०प्रतौ ' गुणिदेगेसमयपबद्ध इति पाठः । २. ता०प्रतौ 'सल्लागा [f] अण्णोण्णाभस्थरासो' इति पाठः।
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