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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [पदेसविहत्ती ५ पि मोहणीयदन्वस्स पंचभागमेत्तं,संगहिदसयलणोकसायदव्वत्तादो । पुचिल्लपुरिसवेददग्वेण एदम्मि कोधदव्वे भागे हिदे सादिरेयछरूवाणि गुणगारो होदि ।
* माणसं जलणे उक्कस्सपदेससंतकम्मं बिसेसाहियं । $ १४८. के०मेत्तेण ? सगपंचमभागमेत्तेणं ।
* मायासंजलणे उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । $ १४६. के०मेत्तेण ? सगछब्भागमेत्तेण । * लोभसं जलणे उक्कस्सपदेससंतकम्मं विसेसाहियं । $ १५०. के०मेत्तेण ? सगसत्तमभागमेत्तेण । * णिरयगदीए सव्वत्थोवं सम्मामिच्छत्तस्स उकस्सपदेससंतकम्मं ।
६१५१. कुदो ? गुणिदकम्मंसियलकवणेणागंतूण सत्तमाए पुढवीए उप्पज्जिय अंतोमुहुत्तेण मिच्छत्तमुक्कस्सं काहिदि त्ति विवरीयं गंतूण उवसमसम्मत्तं पडिवज्जिय क्योंकि इसमें नोकषायका समस्त द्रव्य सम्मिलित है । इसलिए पूर्वोक्त पुरुषवेदके द्रव्यका इस क्रोधके द्रव्यमें भाग देने पर साधिक छह अंकप्रमाण गुणकार होता है ।
उदाहरण-१११x१०-4 = ६ । इससे स्पष्ट है कि पुरुषवेदके द्रव्यसे क्रोध संज्वलनका द्रव्य साधिक छह गुणा है।
® उससे मानसंज्वलनमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। $ १४८. कितना अधिक है ? अपने पाँचवें भागप्रमाण अधिक है। उदाहरण-क्रोधसं० + १ = १ मानसंज्वलनका उत्कृष्ट द्रव्य । * उससे मायासंज्वलनमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है। $ १४६. कितना अधिक है अपने छठे भागप्रमाण अधिक है। उदाहरण-६-१-१६ मायासंज्वलनका उत्कृष्ट द्रव्य । * उससे लोभसंज्वलनमें उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म विशेष अधिक है । ६ १५०. कितना अधिक है ? अपने सातवें भागप्रमाण अधिक है। उदाहरण-x=1+25 लोभसंज्वलनका उत्कृष्ट द्रव्य । * नरकगतिमें सम्यग्मिथ्यात्वका उत्कृष्ट प्रदेशसत्कर्म सबसे स्तोक है ।
६ १५१. क्योंकि गुणितकांशिकविधिसे अाकर और सातवीं पृथिवीमें उत्पन्न होकर अन्तर्मुहूर्तमें मिथ्यात्वको उत्कृष्ट करेगा पर विपरीत जाकर और उपशमसम्यक्त्वको प्राप्त कर
१. ता० प्रतौ 'सगपंचभागमेत्तण' इति पाठः ।
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