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________________ १०६ गा० २२] पदणिक्खेवे सामित्तं संतकम्मिओ मिच्छत्तस्स तप्पाओग्गुकस्सहिदिसंतकम्मिओ वेदगसम्मत्तं पडिवण्णो तस्स उक० वड्डी। उवसमसम्मत्तं चरिमफालीए सह पडिवजंतम्मि उक्कस्सिया वड्डी किण्ण दिञ्जदे ? ण; तिण्णि वि करणाणि कादूण उवसमसम्मत्तं पडिवजमाणस्स डिदिकंडयपादेण घादिय दहरीकयहिदिम्मि उक्कस्सहिदीए अभावादो। उक्क० हाणी कस्स ? अण्णद० अणंताणु०चउकं विसंजोएंतेण पढमे द्विदिकंडए हदे तस्स उक. हाणी। २०१. अणुदिसादि जाव सव्वट्ठ त्ति अट्ठावीसपयडी० उक० हाणी कस्स ? अण्णद० अणंताणु०चउक० विसंजोएंतेण पढमट्टिदिखंडए हदे तस्स उक्कस्सिया हाणी । एवं जाणिदृण णेदव्वं जाव अणाहारए त्ति । ६२०२. जहण्णए पयदं । दुविहो णिद्देसो--ओघे० आदेसे० । ओघेण छव्वीसं पयडीणं जह० वड्डी कस्स ? अण्णद० समयणुक्कस्सहिदि बंधिय जेणुकस्सद्विदी' पबद्धा तस्स जह० वड्डी । ज० हाणी कस्स ? अण्णद० उक्कस्सहिदि बंधमाणेण जेण समयूणुकस्सट्टिदी पबद्धा तस्स जह० हाणी। एगदरस्थ अवट्ठाणं । सम्मत्त-सम्मामि० बह० वड्डी कस्स ? अण्णद० जो पुव्वुप्पण्णादो सम्मत्तादो मिच्छत्तस्स दुसमयुत्तरहिदि वेदकसम्यक्त्वके योग्य सम्यक्त्वकी जघन्य स्थिति सत्कर्मवाला और मिथ्यात्वकी तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्मवाला जो जीव वेदकसम्यक्त्वको प्राप्त हुआ उसके उत्कृष्ट वृद्धि होती है। शंका-जो सम्यक्त्व प्रकृतिकी अन्तिम फालिके साथ उपशमसम्यक्त्वको प्राप्त होता है उसे उत्कृष्ट वृद्धिका स्वामी क्यों नहीं बतलाया ? समाधान-नहीं, क्योंकि तीनों ही करणोंको करके उपशम सम्यक्त्वको प्राप्त होनेवाले जिस जीवने स्थितिकाण्डकघातके द्वारा दीर्घ स्थितिका घात करके उसे ह्रस्व कर दिया है उसके उत्कृष्ट स्थिति नहीं पाई जाती है। ___ उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? अनन्तानुबन्धीकी विसंयोजना करनेवाले जिस जीवने प्रथम स्थितिकाण्डकका घात कर दिया है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। ६२०१. अनुदिशसे लेकर सर्वार्थसिद्धितकके देवोंमें अट्ठाईस प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट हानि किसके होती है ? अनन्तानुबन्धी चतुष्ककी विसंयोजना करनेवाले जिस जीवने प्रथम स्थितिकाण्डकका घात कर दिया है उसके उत्कृष्ट हानि होती है। इसी प्रकार जानकर अनाहारक मार्गणातक ले जाना चाहिये। ६२०२. अब जघन्य स्वामित्वका प्रकरण है-उसकी अपेक्षा निर्देश दो प्रकारका हैओघ और आदेश। उनमें से ओघकी अपेक्षा छब्बीस प्रकृतियोंकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिको बाँधकर जिसने उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध किया है उसके जघन्य वृद्धि होती है। जघन्य हानि किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिको बाँधनेवाले जिस जीवने एक समय कम उत्कृष्ट स्थितिका बन्ध किया उसके जघन्य हानि होती है । तथा किसी एक जगह अवस्थान होता है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी जघन्य वृद्धि किसके होती है ? जो पहले प्राप्त सम्यक्त्वकी स्थिति से मिथ्यात्वकी दो समय अधिक स्थितिको बाँधकर सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ उसके जघन्य वृद्धि १ ता. आ. प्रत्योः बंधिय जो अणुक्कस्सहिदी इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001410
Book TitleKasaypahudam Part 04
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year1956
Total Pages376
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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