________________
गा० २२ ] हिदिविहत्तीए सामित्त .
२३ उवसमसेढिमारूढो पच्छा दसणमोहं खविय अप्पप्पणो उक्कस्साउहिदीए उववण्णो तस्स चरिमसमयणिप्फिदमाणयस्स जहण्णयं हिदिसंतकम्मं । .
३८ वेउव्विय० मोह० जह• कस्स ? अण्णद. सव्वह० देवस्स खइयसम्मादिहिस्स उपसंतकसायपच्छायदस्स सगसगुक्कस्साउद्विदिचरिमसमए वेउव्वियकायजोगे वट्टयाणस्स तस्स जहण्णयं हिदिसंतकम । वेउव्वियमिस्स० मोह. जह कस्स ? अण्ण. खइयसम्मा० उवसंत० पच्छायदस्स चरिमसमयवेव्वियमिस्सकायजोगिस्स जहण्णयं हिदिसंतकम्म। आहार० मोह. जह० कस्स ? अण्ण० खइयसम्माइडिस्स से काले मूलसरीरं पविसंतस्स जह• हिदिसंतकम्मं । आहारमिस्स मोह. जह• कस्स ? अण्ण. खइयसम्मा० से काले सरीरपज्जत्तिं कोहदि (काहदि) त्ति तस्स जह० हिदिसंतकम्मं ।
३६. वेदाणुवादेण इत्थिवेद० मोह० जह० कस्स ? अण्णद० अणियट्टिखवओ चरिमसमए इत्थिवेदो तस्स जह० हिदिसंतकम्मं । एवं पुरिस०-णवंस. वत्तव्वं ।
४०. कोह-माण-माय० जह० कस्स ? अण्णद० अणियट्टिखवओ स्थिति किसके होती है ? जो कोई एक जीव उपशमश्रेणी पर दो बार चढ़ा है अनन्तर दर्शनमोहनीयका क्षय करके आयुकर्मकी अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिको लेकर सौधर्मादिमें उत्पन्न हुआ है उसके वहांसे निकलनेके अन्तिम समयमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व होता है।
३८. वैक्रियिककाययोगी जीवोंमें मोहनीयकी जघन्य स्थिति किसके होती है ? जो क्षायिकसम्यग्दृष्टि उपशान्तकषाय गुणस्थानसे सर्वार्थसिद्धिमें उत्पन्न हुआ तथा जो अपनी अपनी उत्कृष्ट आयुके अन्तिम समयमें वैक्रियिककाययोगमें विद्यमान है उस सर्वार्थसिद्धिमें रहनेवाले वैक्रियिककाययोगी जीवके मोह नीयका जघन्य स्थितिसत्त्व होता है। वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंमें मोहनीयकी जघन्य स्थिति किसके होती है ? जो क्षायिकसम्यग्दृष्टि जीव उपशान्तकषाय गुणस्थानसे आकर देवोंमें उत्पन्न हुआ है उसके वैक्रियिकमिश्रकाययोगके अन्तिम समयमें जघन्य स्थितसत्त्व होता है । आहारककाययोगी जीवोंमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व किसके होता है ? जो क्षायिकसम्यग्दृष्टि आहारक काययोगी जीव तदनन्तर समयमें मूल शरीरमें प्रवेश करेगा उसके अन्तिम समयमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व होता है। आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व किसके होता है ? जो क्षायिकसम्यग्दृष्टि आहारकमिश्रकाययोगी जीव तदनन्तर समयमें शरीरपर्याप्तिको प्राप्त करेगा उसके मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व होता है।
३६. वेदमार्गणाके अनुवादसे स्त्रीवेदी जीवोंमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व किसके होता है ? जो स्त्रीवेदी अनिवृत्तिक्षपक जीव है उसके स्त्रीवेदके अन्तिम समयमें मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व होता है। इसी प्रकार पुरुषवेदी और नपुंसकवेदी जीवोंके मोहनीयका जघन्य स्थितिसत्त्व कहना चाहिये।
४०. क्रोध, मान और मायाकपायवाले जीवोंमें मोहनीयका. जघन्य स्थितिसत्त्व किसके
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org