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________________ गा • २२ ] द्विदिविहत्तौए सामित्त णेरइएसु वा उबवण्णो तस्स पढमसमयउववण्णल्लयस्स उक्कस्सिया हिदी। $ २८. अवगद० मोह • उक्क० कस्स ? जो चउच्चीसविहत्तिओ तप्पाओग्गुक्कस्सहिदिसंतकम्मेण पढमसमयअवगदवेदो जादो तस्स उक्कस्सिया हिदी । एवमकसा०-सुहुम०-जहाक्खाद० वत्तव्वं । २६. आभिणि-सुद०-ओहि मोह उक्क० कस्स ? अण्णद० उक्कस्सहिदिसंतकम्मेण तप्पाओग्गेण हिदिघादमकाऊण सम्म पडिवण्णो तस्स पढमसमयवेदयसम्माइडिस्स उक्कस्सयहिदिसंतकम्मं । एवमोहिदंस-सम्मादि०-वेदय० वत्तव्वं । मणपज्ज० उक्क कस्स ? अण्णद० वेदयसम्मादिही संजदो तप्पाओग्गुक्कस्सहिदिसंतकम्मो पढमसमयमणपज्जवणाणी जादो तस्स उक्कस्सहिदिसंतकम्मं । एवं संजद०-सामाय-छेदो०-परिहार०-संजदासंजद० वत्तव्वं । ३०. सुक्क० मोह, उक्क. कस्स ? अण्णद. उक्कस्सहिदिसंतकम्मिओ हिदिघादमकदवेलाए चेव परावत्तिदपढमसमयसुक्कलेस्सा तस्स उक्कस्सिया हिदी। मिश्रकाययोगी हो गया उसके पहले समयमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति होती है । कार्मणकाययोगी जीवोंमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति किसके होती है ? कोई एक चारों गतिका जीव मोहनीयकी स्थिति बांधकर मरा और तिर्यंच या नारकियोंमें उत्पन्न हुआ उसके उत्पन्न होनेके पहले समयमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति होती है। २८. अपगतवेदी जीवोंमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति किसके होती है ? अनन्तानुबन्धी चतुष्कके बिना जो चौबीस प्रकृतियोंकी सत्तावाला जीव अपगतवेदी जीवोंके योग्य उत्कृष्ट स्थितिकी सत्ताके साथ अपगतवेदी हुआ उसके पहले समयमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति होती है। इसी प्रकार अकषायी, सूक्ष्मसांपरायिक संयत और यथाख्यातसंयत जीवोंके कहना चाहिये । __$ २६. आभिनिबोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी जीवोंमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति किसके होती है ? जिसके तत्प्रायोग्य मोहनीयको उत्कृष्ट स्थिति विद्यमान है और जो स्थितिघात न करके सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ है उस मतिज्ञानी, श्रुतज्ञानी और अवधिज्ञानी वेदकसम्यग्दृष्टि जीवके पहले समयमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति होती है। इसी प्रकार अवधिदर्शनी, सम्यग्दृष्टि और वेदकसम्यग्दृष्टि जीवोंके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति कहनी चाहिये । मनःपर्ययज्ञानी जीवोंमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति किसके होती है ? मनःपर्ययज्ञानके योग्य उत्कृष्ट स्थितिकी सत्तावाला जो कोई एक संयत वेदकसम्यग्दृष्टि जीव मनःपर्ययज्ञानी हुआ उसके पहले समयमें मोहनीयका उत्कृष्ट स्थिति सत्त्व पाया जाता है । इसी प्रकार संयत, सामायिकसंयत, छेदोपस्थापनासंयत, परिहारविशुद्धिसंयत और संयतासंयत जीवोंके कहना चाहिये ।। ३०. शुक्ललेश्यावाले जीवोंमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति किसके होती है ? जिसके मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति विद्यमान है और जिसने स्थिति घात करके उसी समय शुक्ललेश्याको प्राप्त कर लिया है ऐसे किसी भी शुक्ललेश्यावाले जीवके पहले समयमें मोहनीयकी उत्कृष्ट स्थिति होती है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001409
Book TitleKasaypahudam Part 03
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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