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________________ २४. जयधवलासहिदे कसायपाहुडे, [हिदिविहली ३ । ९४२२. सुकले० मिच्छत्त-सोलसक०-णवणोक० उक्क० कस्स ? अण्ण. जो मिच्छाइट्टी उकस्सहिदि बंधिय हिदिघादमकाऊण लेस्सापरावचिं गदो तस्स उक्क० विहत्ती । सम्मत्त०-सम्मामि० उक्क० कस्स० ? अण्ण. जो मिच्छाइही उक्क हिदि बंधिय अंतोमुहुत्तेण सम्म पडिवण्णो । पुणो अंतोमुहुरोण लेस्सापरावनिं गदो तस्स पढमसमए उक्क विहत्ती । - ४२३, अभविय० देवोघं । णवरि सम्म० सम्मामि० णत्थि । खइय० बारसक०-णवणोक० उक्क० कस्स ? अण्ण. जो उक्क०हिदिसंतकम्मिश्रो पढमसमयखीणदंसणमोहणीयो जादो तस्स उक्क विहत्ती । उपसम० सयपयडि० उक्क० कस्स ? अण्ण. जो उक्क०हिदिसंतकम्मिओ पढमसमयउवसंतदसणमोहरणीओ जादो तस्स उक्कविहत्ती। सासण. सव्वपयडि. उक्क० कस्स ? अण्ण० तस्सेव पढमसमयसासणं गदस्स तस्स उक्कस्स०विहत्ती । सम्मामि० मिच्छत्त-सोलसक०णवणोक० उक्क० कस्स ? अण्ण. जो मिच्छाइट्टी उक्क हिदि बंधिदूण हिदिघादमकाऊण अंतोमहुत्तेण सम्मामिच्छत्तं पडिवण्णो तस्स उक्क विहत्ती । सम्मत्तसम्मामि० उक० कस्स ? अण्ण. जो मिच्छत्तउक्कस्सहिदिं बंधिदूण हिदिघादमकाऊण __$४२२ शुक्ललेश्यामें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो मिथ्यादृष्टि जीव उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर और स्थितिघात न करके लेश्यापरावृत्तिसे शुक्ललेश्याको प्राप्त हुआ है उसके उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। सम्यक्व और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई मिथ्यादृष्टि जीव उत्कृष्ट स्थितिको बांध कर अन्तमुहूर्त कालके द्वारा सम्यक्त्वको प्राप्त हुआ है। पुनः अन्तमुहूर्त कालके द्वारा लेश्यापरावृत्तिसे शुक्ललेश्याको प्राप्त हुआ है उसके पहले समयमें उत्कृष्ट स्थिति विभक्ति होती ह । ६४२३ अभव्योंके सामान्य देवोंके समान कथन जानना चाहिये। पर इतनी विशेषता है कि इनके सम्यक्त्व और सन्यग्मिथ्यात्व कर्म नहीं होते हैं। क्षायिक सम्यग्दृष्टियोंमें बारह कषाय और नौ नौकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिसकर्मवाला जो जीव क्षीणदर्शनमोह हो गया है उसके पहले समयमें उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। उपशमसम्यग्दृष्टियोंमें सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिसत्कमवाला जो जीव उपशान्तदर्शनमोहनीय हो गया है उसके पहले समयमें उस्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। सासादन सम्यग्दृष्टियोंमें सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई वही पूर्वोक्त जीव सासादनसम्यक्त्वको प्राप्त हुआ है उसके पहले समयमें उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति हाती है। सम्यग्मिथ्यादृष्टियोंमें मिथ्यात्व, सोलह कषाय और नौ नोकाषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई मिथ्यादृष्टि जीव उत्कृष्ट स्थितिको बांधकर और स्थितिघात न करके अन्तर्मुहूर्त कालके द्वारा सम्यग्मिथ्यात्वको प्राप्त हुआ है उसके उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। सम्यक्ष और सम्यग्मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई मिथ्याद्दष्टि जीव मिथ्यात्वकी उत्कृष्ट स्थिति बांधकर और स्थितिघात Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001409
Book TitleKasaypahudam Part 03
Original Sutra AuthorGundharacharya
AuthorFulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
PublisherBharatiya Digambar Sangh
Publication Year
Total Pages564
LanguagePrakrit, Sanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size15 MB
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