________________
- २३०
• अयधवलासहिदे कसायपाहुडे [द्विदिविहची ३ ४१६. वेउवियमिस्स० मिच्छत्त-सोलसक० उक्क० कस्स ? अण्ण. जो तिरिक्खो मणुस्सो वा उक्कस्सहिदि बंधमाणो मदो रइएसु पढमसमयउववण्णो तस्स उक्कविहत्ती । सम्मत्त-सम्मामि० पंचिंतिरिक्खअपज्जत्तभंगो। णवणोक० उक्क० कस्स ? अण्ण० जो तिरिक्खो मणुस्सो वा उक्कस्सहिदि बंधिदूण कालं गदो रइएसु उववण्णो पढमसमयमादि कादूण जाव आवलियउववण्णस्स तस्स उक्क०विहत्ती ।
$ ४१७ आहार० सव्वपयडीणमुक्क० कस्स ? अण्ण. जो वेदय दिही उक्कस्सहिदिसंतकम्मिश्रो पढमसमयपज्जत्तयदो तस्स उक्क विहत्ती । एवमाहारमिस्स० णवरि पढमसमयआहारमिस्सयस्स ।
४१८. कम्मइय० मिच्छत्त-सोलसक० उक० कस्स १ अण्ण० जो चदुगदिओ उक्कस्सहिदि बंधमाणो कालं गदो समयाविरोहेण तिरिक्ख-णेरइएमु पढमसमयकम्मइयकायजोगी जादो तस्स उक्क विहत्ती । सम्मत्त०-सम्मामि० ओरालियमिस्सभंगो । णवरि चदुसु गदीसु सम्मत्तं दादव्वं । णवणोक उक्क० कस्स ? अण्ण. जो चदुगदिओ उक.हिदि. बंधमाणो कालं गदो जहासंभवं तिरिक्ख-णेरइएसु पढमविदयसमयउव
rammam
६४१६. वैक्रियिकमिश्रकाययोगियोंमें मिथ्यात्व और सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई एक तिर्यंच या मनुष्य उत्कृष्ट स्थितिको बाँध कर मरा और नारकियोंमें उत्पन्न हुआ उसके उत्पन्न होनेके पहले समयमें उक्त कर्मोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग पंचेन्द्रिय तिथंच अपर्याप्तकोंके समान है। नौ नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? जो कोई एक तिर्यंच या मनुष्य उत्कृष्ट स्थितिको बाँधकर मरा और नारकियोंमें उत्पन्न हुआ उसके उत्पन्न होनेके पहले समयसे लेकर एक आवलीप्रमाण कालके भीतर नौ नोकषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है ।
६४१७. आहारककाययोगियोंमें सब प्रकृतियोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिसत्कर्मवाला जो कोई वेदकसम्यग्दृष्टि जीव आहारककाययोगी हुआ उसके पर्याप्त होनेके पहले समयमें सब कर्मोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है। इसी प्रकार आहारकमिश्रकाययोगी जीवोंके जानना चाहिये। किन्तु इतनी विशेषता है कि आहारकमिश्रकाययोगके पहले समयमें उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है।
६४१८. कार्मणकाययोगियोंमें मिथ्यात्त्र और सोलह कषायोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिको बाँधनेवाला जो काई चार गतिका जीव मरा और यथानियम तिथंच और नारकियोंमें उत्पन्न होकर कार्मणकाययोगी हो गया उसके पहले समयमें उक्त कर्मोंकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति होती है । सम्यक्त्व और सम्यग्मिथ्यात्वका भंग औदारिकमिश्रकाययोगियोंके समान है । किन्तु इतनी विशेषता है कि सम्यक्त्वको चारों गतियोंमें देना चाहिये। अर्थात् उसकी उत्कृष्टस्थिति विभक्ति चारों गतियोंमें कार्मणकाययोगियोंके होती है। नौ नोकषायोकी उत्कृष्ट स्थितिविभक्ति किसके होती है ? उत्कृष्ट स्थितिको बांधनेवाला जो कोई एक चारों गतियोंका जीव मरा और यथायोग्य तिर्यंच तथा नारकियोंमें पहले और दूसरे समयमें उत्पन्न
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org