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जयधवलासहिदे कसायपाहुडे [हिदिविहत्ती ३ .. ३३२. मणुसअपज्ज. सव्वपदा० अंतरं के० ? जह० एगसमो , उक्क० पलिदो० असंखे०भागो।
६३३३. आणदादि जाव अवराइद त्ति असंख०भागहाणीए णत्थि अंतरं । संखे० भागहाणि अंतरं के० ? जह० एगसमओ, उक्क सत्त रादिदियाणि वासपुधत्तं । सव्व असंखेज्जभागहाणीए णत्थि अंतरं । असंखे० भागहांणि अंतरं के ? जह० एगसमभो, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो ।
विशेषार्थ-नरकगतिमें असंख्यातभागहानि और अवस्थित ये दो पद निरन्तर पाये जाते हैं अतः इनका अन्तरकाल नहीं बनता। तथा यहां सम्भव शेष पदोंका अन्तरकाल ओघमें जिस प्रकार घटित करके लिख आये हैं उसी प्रकार यहां भी जानना । सातों नरकके नारकी आदि कुछ मार्गणाएं ऐसी हैं जिनमें नरकगतिके समान अन्तरकालकी प्ररूपणा बन जाती है, अतः उनके कथनको सामान्य नारकियोंके समान कहा । तिर्यंचोंके असंख्यातभागहानि, असंख्यात भागवृद्धि और अवस्थित ये तीन पद निरन्तर पाये जाते हैं अतः इनमें अन्तर प्ररूपणा ओघके समान कही। किन्तु तियचोंके असंख्यातगुणहानि नहीं होती, क्योंकि यह पद अनिवृत्तिक्षपकके ही पाया जाता है । औदारिकमिश्रकाययोग आदि कुछ और भी मार्गणाएं हैं जिनमें सम्भव पदोंका अन्तरकाल सामान्य तियचोंके समान बन जता है, अतः उनकी प्ररूपणा सामान्य तिर्यंचोंके समान कही। मनुष्योंमें असंख्यातभागहानि और अवस्थित ये दो पद ही निरन्तर पाये जाते हैं, अतः इनमें अन्तर प्ररूपणा सामान्य नारकियोंके समान कही । किन्तु इनके असंख्यातगुणहानि भी पाई जाती है जो मनुष्य पर्यायमें ही सम्भव है, अतः मनुष्योंके असंख्यातगुणहानिका अन्तरकाल अोधके समान कहा। पंचेन्द्रिय आदि कुछ और ऐसी मार्गणाएं हैं जिनमें अन्तरकाल सामान्य मनुष्योंके समान है, अतः उनकी प्ररूपणा सामान्य मनुष्यों के समान कही। किन्तु इतनी विशेषता है कि मनुष्यनीके क्षपकश्रेणीका उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व प्रमाण है, अतः स्त्रीवेद और मनुष्यनीके असंख्यातगुणहानिका उत्कृष्ट अन्तरकाल वर्षपृथक्त्व प्रमाण कहा । तथा पुरुषवेदमें क्षपकश्रेणीका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक एक वर्ष प्रमाण पाया जाता है, अतः पुरुषवेदमें असंख्यातगुणहानिका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक एक वर्ष प्रमाण कहा।
६. ३३२ मनुष्य अपर्याप्तकोंमें सभी पदवाले जीवोंका अन्तरकाल कितना है ? जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है।
विशेषार्थ-लब्ध्यपर्याप्त मनुष्योंका जघन्य अन्तर काल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्यके असंख्यातवें भागप्रमाण है, अतः इनके सम्भव सब पदोंका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल उक्त प्रमाण कहा।
६३३३. आनत कल्पसे लेकर अपराजित तकके देवोंके असंख्यातभागहानिकी अपेक्ष अन्तरकाल नहीं है। संख्यातभागहानिवाले उक्त देवोंका अन्तरकाल कितना है ? जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल सात दिन रात और वषपृथत्व है। सर्वार्थसिद्धिमें असंख्यात भागहानिकी अपेक्षा अन्तरकाल नहीं है। तथा संख्यातभागहानिवाले उक्त देवोंका अन्तरकाल कितना है ? जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
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