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गा०२२] द्विदिविहत्तीए वड ढीए अंतरं
૫e $ २८६. किण्ह - णील - काउ० तिण्णि वड्ढी० अवडि• जह० एगसमओ, दोहाणी० ज० अंतीम० । उक्क० सव्वेसिं सगहिदी देसूणा । असंखे० भागहाणी० ओघं । तेउ० सोहम्मभंगो। पम्म० सहस्सारभंगो । सुक्क० असंखे० भागहाणी० जहण्णुक० एगसमो। संखे०भागहाणी० जह० अंतोमु०, उक्क० एक्कत्तीस साग० देसूणाणि । संखे गुणहाणी जहण्णुक्क० अंतोमु० । असंखे०गुणहाणी० ओघं ।
__२८७. खइय० असंखे०भागहाणी जहण्णुक्क० एगसमश्रो । तिण्णि हाणी. जहण्णुक्क० अंतोमु० । णवरि संखे०भागहाणी उक्क० तेत्तीसं सागरोवमाणि सादिरेयाणि । वेदय० दो हाणीणं अोधिभंगो । संखे०गुणहाणी० णत्थि अंतरं । उवसम० असंखे० भागहाणी. जहण्णुक्क० एगसमयो । संखे भागहाणी. जहण्णुक्क अंतोमु०। सम्मामि० असंखे० भागहाणी० जहण्णुक्क० एगसमभो । दो हाणी० णत्थि अंतरं ।
____६२८८. [ सण्णीणं पंचिंदियभंगो । ] असण्णीसु असंखे०भागवड्डी० अवहि० जह• एगसमओ, उक्क० पलिदो० असंखे०भागो । संखे भागहाणी ओघं । संखे भागवड्डी ज० एगसमओ, संखे० गुणवड्डी-दोहाणीणं ज० अंतोमु० । उक्क० सव्वेसिमणंतकालमसंखेज्जा पोग्गलपरियट्टा ।
६२८६. कृष्ण, नील, और कापोत लेश्यावाले जीवोंमें तीन वृद्धियों और अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तरकाल एक समय है और दो हानियोंका जघन्य अन्तरकाल अन्तमुहूर्त है। तथा सभीका उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम अपनी अपनी उत्कृष्ट स्थितिप्रमाण है । तथा असंख्यात भागहानिका अन्तरकाल ओघके समान है। पीतलेश्यावाले जीवोंके सौधर्म स्वर्गके समान और पद्मलेश्यावाले जीवोंके सहस्रारस्वर्गके समान जानना चाहिये । तथा शुक्ललेश्यावाले जीवोंमें असंख्यात भागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल एक समय है । संख्यात भागहानिका जघन्य अन्तरकाल अन्तमुहूर्त और उत्कृष्ट अन्तरकाल कुछ कम इकतीस सागर है। तथा संख्यात गुणहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तमुहूर्त और असंख्यात गुणहानिका अन्तरकाल ओघके समान है।
२८७. क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें असंख्यात भागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल एक समय तथा तीन हानियोंका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तमुहूर्त है। इतनी विशेषता है कि संख्यात भागहानिका उत्कृष्ट अन्तरकाल साधिक तेतीस सागर है। वेदकसम्यग्दृष्टियोंमें दो हानियोंका अन्तरकाल अवधिज्ञानियोंके समान है। तथा संख्यातगुणहानिका अन्तरकाल नहीं है। उपशमसम्यग्दृष्टियोंमें असंख्यात भागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल एक समय है। तथा संख्यात भागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल अन्तर्मुहूर्त है । सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीवोंमें असंख्यात भागहानिका जघन्य और उत्कृष्ट अन्तरकाल एक समय है। तथा दो हानियोंका अन्तरकाल नहीं है।
२८८. संज्ञी जीवोंमें पंचेन्द्रियोंके समान भंग है। असंज्ञी जीवों में असंख्यात भागवृद्धि और अवस्थितविभक्तिका जघन्य अन्तरकाल एक समय और उत्कृष्ट अन्तरकाल पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है। संख्यात भागहानिका अन्तरकाल ओघके समान है। संख्यात भागवृद्धि का जघन्य अन्तरकाल एक समय तथा संख्यातगुणवृद्धि और दो हानियोंका जघन्य अन्तरकाल अन्तर्महर्त है। तथा उक्त सभीका उत्कृष्ट अन्तर अनन्तकाल है जो कि असंख्यात पुदलपरिवर्तनप्रमाण है।
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