________________
जयrवलास हिदे कसा पाहुडे
[ द्विदिविहती ३ $ २१५. मस० भुज० जह० एयसमत्रो, उक्क० आवलि० प्रसंखे ० भागो । मणुसपज्ज० - मणुसिणी० भुज० के० ज० एगसमओ उक्क० संखेज्जा समया । मणुसतिएसु अप्पद० अवट्ठि सव्वद्धा । मणुसअपज्ज० भुज० के० १ जह० एगसमओ, उक्क० आवलि० असंखे० भागो । अप्प० - अवहि ० के० ०१ जह० एस० उक्क० पलिदो० असंखे० भागो । एवं वेडव्वियमिस्स० ।
९ २१६. दादि जाव सव्वहसिद्ध त्ति अप्पदर० के० १ सव्वद्धा । एवमाभिणि० - सुद० - ओहि ० - मणपज्ज० - संजद ० - सामाइय - छेदो ० - परिहार० - संजदासंजद०ओहिंदंसण०-सुक्कले०-सम्मादि० - खइय० - वेदय० दिट्ठित्ति ।
1
$ २१७. आहार०-आहारमिस्स ० अप्पदर० के० ? जह० एगसमओ, उक्क० अंतमुत्तं । णवर आहारमिस्स० जहण्णु० अंतोमु० अवगद ० अप्प० के० ? ज० एगस०, उक्क० अंतोमुहुत्तो । एवमकसा० - सुहुम ० जहाक्खाद० संजदे त्ति । उवसम० अप्पद० के० ? जह० अंतोमु०, उक्क० पलिदो • असंखे ० भागो । एवं सम्मामि ०सासण० । णवरि सासण० जह० एयसमत्रो ।
एवं कालागमो समत्तो ।
१२२
$ २१५. मनुष्यों में भुजगार स्थितिविभक्तिका जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल आवली असंख्यातवें भागप्रमाण है । मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यिनियोंमें भुजगार स्थितिविभक्ति कितना काल है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल संख्यात समय है । तथा उक्त तीन प्रकारके मनुष्यों में अल्पतर और अवस्थित स्थितिविभक्तिका काल सर्वदा है । लब्ध्यपर्याप्तक मनुष्यों में भुजगार स्थितिविभक्तिका काल कितना है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल आवलीके असंख्यातवें भागप्रमाण है । तथा अल्पतर और अवस्थित स्थितिविभक्ति का कितना काल है ? जघन्य एक समय और उत्कृष्ट पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है । इसी प्रकार वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीवोंके जानना चाहिये ।
$ २१६. नत कल्पसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तक देवोंमें अल्पतर स्थितिविभक्तिवाले का कितना काल है ? सर्वकाल है । इसी प्रकार अभिनिवोधिकज्ञानी, श्रुतज्ञानी, अवधिज्ञानी, मन:पर्ययज्ञानी, संयत, सामायिकसंयत, छेदोपस्थापना संयत, परिहारविशुद्धिसंयत, संयतासंयत अवधिदर्शनी, शुक्ललेश्यावाले, सम्यग्दृष्टि, क्षायिकसम्यग्दृष्टि और वेदकसम्यग्दृष्टि जीवों के जानना चाहिये |
§ २१७. आहारककाययोगी और आहारकमिश्रकाययोगी जीवों में अल्पतर स्थितिविभक्ति वाले जीवों का कितना काल है ? जघन्यकाल एक समय और उत्कृष्टकाल अन्तर्मुहूर्त है । इतनी विशेषता है कि आहारकमिश्रकाययोगी जीवों के जघन्य और उत्कृष्ट दोनों काल अन्तर्मुहूर्त हैं । अपगतवेदी जीवोंमें अल्पतर स्थितिविभक्तिवाले जीवोंका कितना काल है ? जघन्य काल एक समय और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । इसी प्रकार अकषायी, सूक्ष्मसांपरायिकसंयत और यथाख्यातसंयत जीवों के जानना चाहिये । उपशमसम्यग्दृष्टियों में अल्पतर स्थितिविभक्तिवाले जीवोंका कितना काल है ? जघन्यकाल अन्तर्मुहूर्त और उत्कृष्टकाल पल्योपमके असंख्यातवें भागप्रमाण है । इसी प्रकार सम्यग्मिथ्यादृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंके जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि सासादन सम्यग्दृष्टि जीवोंके जघन्यकाल एक समय है ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org