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४, २, ७, ११७.] वेयणमहाहियारे वेयणभावविहाणे अप्पाबहुअं अणंतगुणहीणो । पुरिसवेदो अणंतगुणहीणो। रदी अणंतगुणहीणा। हस्समणंतगुणहीणं ।
सव्वतिव्वाणुभागं देवाउनं । णिरयाउअमणंतगुणहीणं । मणुसाउअमणंतगुणहीणं । तिरिक्खाउअमणंतगुणहीणं ।
सव्वतिब्वाणुभागा देवगई। मणुसगई अणंतगुणहीणा। णिरयगई अणंतगुणहीणा। तिरिक्खगई अणंतगुणहीणा।।
सव्वतिव्वाणुभागा पंचिंदियजादी । एइंदियजादी अणंतगुणहीणा । बेइंदियजादी अणंतगुणहीणा । तेइंदियजादी अणंतगुणहीणा । चउरिंदियजादी अणंतगुणहीणा।
सव्वतिव्वाणुभागं कम्मइयसरीरं । तेजइयसरीरं अणंतगुणहीणं । आहारसरीरमणंतगुणहीणं । वेउव्वियसरीरमणंतगुणहीणं । ओरालियसरीरमणंतगुणहीणं ।।
सव्वतिव्वाणुभागं समचउरससंठाणं । हुँडसंठाणमणंतगुणहीणं । वामणसंठाणमणंतगुणहीणं । खुज्जसंठाणमणंतगुणहीणं । सादियसंठाणमणंतगुणहीणं । णग्गोधसंठाणमणंतगुणहीणं। ___सव्वतिव्वाणुभागमाहारसरीरअंगोवंगं। वेउब्वियसरीरअंगोवंगमणंतगुणहीणं । ओरालियसरीरमंगोवंगमगंतगुणहीणं ।
अनन्तगुणी हीन है। उससे स्त्रीवेद अनन्तगुणा हीन है। उससे पुरुषवेद अनन्तगुणा हीन है। उससे रति अनन्तगुणी हीन है । उससे हास्य अनन्तगुणा हीन है।
देवायु सबसे तीव्र अनुभागसे युक्त है। उससे नारकायु अनन्तगुणी हीन है। उससे मनुप्यायु अनन्तगुणी हीन है। उससे तिर्यगायु अनन्तगुणी हीन है।
देवगति सबसे तीव्र अनुभागसे युक्त है। उससे मनुष्यगति अनन्तगुणी हीन है। उससे नरकगति अनन्तगुणी हीन है। उससे तिर्यग्गति अनन्तगुणी हीन है।
पञ्चेन्द्रिय जाति सबसे तीव्र अनुभागसे युक्त है। उससे एकेन्द्रिय जाति अनन्तगुणी हीन है। उससे द्वीन्द्रिय जाति अनन्तगुणी हीन है। उससे त्रीन्द्रिय जाति अनन्तगुणी हीन है। उससे चतुरिन्द्रिय जाति अनन्तगुणी हीन है।
कार्मण शरीर सबसे तीव्र अनुभागसे युक्त है। उससे तैजस शरीर अनन्तगुणा हीन है। उससे आहारक शरीर अनन्तगुणा हीन है। उससे वैक्रियिक शरीर अनन्तगुणा हीन है। उससे औदारिक शरीर अनन्तगुणा हीन है।
समचतुरस्र संस्थान सबसे तीव्र अनुभाग से युक्त है। उससे हुंडक संस्थान अनन्तगुणा हीन है। उससे वामन संस्थान अनन्तगुणा हीन है। उससे कुब्जक संस्थान अनन्तगुणा हीन है। उससे स्वाति संस्थान अनन्तगुणा हीन है । उससे न्यग्रोधपरिमण्डल संस्थान अनन्तगुणा हीन है।
___ आहारक शरीरांगोपांग सबसे तीव्र अनुभागसे युक्त है। उससे वैक्रियिक शरीरांगोपांग अनन्तगुणा हीन है। उससे औदारिक शरीरांगोपांग अनन्तगुणा हीन है।
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