SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 43
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ [१० छक्खंडागमे वेयणाखंड ४,२,७, ४.] सादिया सिया अणादिया सिया धुवा सिया अदुवा सिया ओमा सिया विसिट्ठा मिया णोम-णोविसिट्ठा । एवं जुम्मपदं एकारसवियप्पं होदि ११ । संपहि एकारसमपुच्छासुत्तस्स अत्थो णत्थि, अणुभागे ओजसंखाभावादो । संपहि वारसमसुनस्स अत्थो वुच्चदे। तं जहा-ओमणाणावरणीयभाववेयणा सिया अणुक्कस्सा सिया अजहण्णा सिया सादिया सिया अणादिया सिया धुवा सिया अधुवा सिया जुम्मा । एवमोमपदं सचवियप्पं होदि ७।। __ संपहि तेरसमपुच्छासुत्तत्थं भणिस्सामो। तं जहा-विसिट्ठणाणावरणीयभाववेयणा सिया अणुक्कस्सा सिया अजहण्णा सिया सादिया सिया अणादिया सिया धुवा सिया अधुवा सिया जुम्मा । एवं विसिट्ठपदं सत्तवियप्पं होदि ७। संपहि चोदसमपुच्छासुत्तत्थं भणिस्सामो । तं जहा–णोम-णोविसिट्ठा णाणापरणीयभाववेयणा सिया उकस्सा सिया अणुक्कस्सा सिया जहण्णा सिया अजहण्णा सिया सादिया सिया अणादिया सिया धुवा सिया अधुवा सिया जुम्मा। एवं णोमणोविसिट्ठपदं णववियप्पं होदि ९ । सवसुत्तभंगंकसंदिट्ठी-१२।।१०।।१०।११।११। ११।११।११।[1]७७।९। अजघन्य है, कथश्चित् सादि है, कथञ्चित् अनादि है, कथश्चित् ध्रुव है, कश्चित् अध्रुव है, कथञ्चित् ओम है, कथञ्चित् विशिष्ट है और कथश्चित् नोम-नोविशिष्ट है। इस प्रकार युग्म पद ग्यारह (११) विकल्प रूप है। ग्यारहवें पृच्छासूत्रका अर्थ नहीं है, क्योंकि, अनुभागमें ओज संख्या सम्भव नहीं है। बारहवें पृच्छासूत्रका अर्थ कहते हैं। वह इस प्रकार है-ओम ज्ञानावरणीय भाववेदना कथञ्चित् अनुत्कृष्ट है, कथञ्चित् अजघन्य है, कथञ्चित् सादि है, कथञ्चित् अनादि है, कचित् ध्रुव है, कथञ्चित् अध्रुव है और कश्चित् युग्म है। इस प्रकार ओम पद सात (७) विकल्प रूप है। __ अब तेरहवें पृच्छासूत्रका अर्थ कहते हैं। वह इस प्रकार है-विशिष्ट ज्ञानावरणीय भाववेदना कथञ्चित् अनुत्कृष्ट है, कथञ्चित् अजघन्य है, कथचित् सादि है, कथञ्चित् अनादि है, कथञ्चित् ध्रुवहै , 'कथञ्चित् अध्रुव है और कथञ्चित् युग्म है। इस प्रकार विशिष्ट पद सात (७) विकल्प रूप है। अब चौदहवें पृच्छासूत्रका अर्थ कहते हैं। वह इस प्रकार है-नोम-नोविशिष्ट ज्ञानावरणीय भाववेदना कथश्चित् उत्कृष्ट है, कथश्चित् अनुत्कृष्ट है, कश्चित् जघन्य है, कथश्चित् अजघन्य है, कथञ्चित् सादि है, कथञ्चित् अनादि है, कथश्चित् ध्रुव है, कथञ्चित् अध्रुव है और कथञ्चित् युग्म है। इस प्रकार नोम-नोविशिष्ट पद नौ (९) विकल्प रूप है। सब सूत्रोंके भङ्गोंके अंकों की सदृष्टि-१२+५+ १० ५+ १० + ११ + ११+११ + ११ + ११ [+] +७+ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy