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________________ ४, २, १०, ४६.] वेयणमहाहियारे वेयणवेयणविहाणं [ ३५७ माणिया वेयणा । एवमेगो भंगो [१] । अधवा, अणेयाणं जीवाणमेया पयडी एयसमय. पबद्धा सिया बज्झमाणिया वेयणा । एवमेदस्स सुत्तस्स बे चेव भंगा [२] । सिया उदिण्णा वेयणा ॥४६॥ एदस्स सुत्तस्स अत्थे भण्णमाणे जीव-पयडि-समयाणमेगवयणेहि जीवबहुवयणेण च | उप्पाइदपत्थारो ठवेदव्यो १२।। एसो संगहणओ तिण्णि वि काले काल. १११ २०० सामण्णेण संगहिदण गेण्हदि त्ति कालस्स बहुवयणं णेच्छदि । जीवेसु वि जीवसामण्णेण संगहिदेसु बहुत्तं णस्थि त्ति जीवबहुवयणं किण्णावणिज्जदे ? ण', संगहणयस्स सुद्धस्स विसए अप्पिदे जीवबहुत्ताभावो होदि चेव, किंतु असुद्धसंगहणओ अप्पिदो चि कट्टण जीवबहुत्तं विरुज्झदे । संपहि एवं ठविय एदस्स अत्थपरूवणं कस्सामो । तं जहा-- हुआ (१)। अथवा, अनेक जीवोंकी एक प्रकृति एक समयमै बाँधो गई कथंचित् बध्यमान वेदना है। इस प्रकार इस सूत्रके दो ही भङ्ग हैं (२)। .. कथंचित् उदी] वेदना है ॥ ४६॥ इस सूत्रके अर्थकी प्ररूपणा करते समय जीव, प्रकृति और समय, इनके एकवचन और जीव प्रकृति समय जीवके बहुवचन | एक | एक | एक | से उत्पन्न कराये गये प्रस्तारको स्थापित करना चाहिये-- अनेक| ० ० | . . . जीव | एक अनेक प्रकृति एक | एक | चूँ कि यह संग्रह नय तीनों ही कालोंको काल सामान्यसे संगृहीत करके ग्रहण करता है, अतएव वह कालके बहुवचनको स्वीकार नहीं करता। शंका-जीव सामान्यसे जीवोंके भी संगृहीत होनेपर चूँकि उनका भी बहुवचन सम्भव नहीं है, अतएव जीवोंके बहुवचनको कम क्यों नहीं किया जाता है ? समाधान-नहीं, क्योंकि, यद्यपि शुद्ध संग्रहनयके विषयकी प्रधानता होनेपर जीवबहुत्वका अभाव होता ही है; किन्तु यहाँ चूंकि अशुद्ध संग्रहनय प्रधान है, अतः जीवबहुत्व विरुद्ध नहीं है। १ प्रतिषु | १२ | एवंविधोऽत्र प्रस्तारो लभ्यते । २ अ-श्रा-काप्रतिषु 'संगहिदेस' इति पाठः । | १२ | ३ ताप्रतौ 'ण' इत्येतस्य स्थाने 'एवं' इत्येतत्पदमुपलभ्यते। १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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