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________________ ८६] छक्खंडागमे वैयणाखंड [४, २, ७, १८९. कसायखवगस्स गुणसेडिकालो संखेञ्जगुणो ॥१८६॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया। एत्थ गुणसेडीए पदेसणिक्खेवकमो संभरिय वत्तव्यो। उवसंतकसायवीयरायछदुमत्थस्स गुणसेडिकालो संखेजगणो ॥ १०॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया। कसायउवसामयस्स गुणसेडिकालो संखेजगुणो ॥१६१॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । दंसणमोहक्खवयस्स गुणसेडिकालो संखेजगुणो ॥१६२॥ को गुणगारो ? संखेजा समया। अणताणुबंधिविसंजोएंतस्स गुणसेडिकालो संखेजगुणो ॥१६३॥ को गुणगारो ? संखेजा समया। अधापवत्तसंजदस्स गुणसेडिकालो संखेजगुणो ॥१४॥ को गुणगारो ? संखेजा समया । अधापवत्तसंजदो एयंताणुवड्डिआदिकिरियाविरहिदसंजदो त्ति एयहो। संजदासंजदस्स गुणसेडिकालो संखेजगुणो ॥१६५॥ उससे कषायक्षपकका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १८९ ॥ गणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। यहां गुणश्रेणिके प्रदेशनिक्षेपक्रमको स्मरण करके कहना चाहिये। उससे उपशान्तकषाय वीतराग छद्मस्थका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥१६॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे कषायोपशामकका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १९१ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे दर्शनमोहक्षपकका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १९२ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे अनन्तानुबन्धिविसंयोजकका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १९३ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे अधःप्रवृत्तसंयतका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १९४ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय हैं । अधःप्रवृतसंयत और एकान्तानुवृद्धि आदि क्रियाओंसे रहित संयत, इन दोनोंका अर्थ एक है। उससे संयसासंयतका गुणश्रेणिकाल संख्यातगुणा है ॥ १९५ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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