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________________ ८४] छक्खंडागमे वेयणाखंडं . [४, २, ७, १८१ उवसंतकसायवीयरायछदुमत्थस्स गुणसेडिगुणो असंखेज्जगुणो॥ १८१॥ को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। एत्थ मोहणीयं मोत्तूण सेसकम्माणं दुविहगुणसेडीणं गुणगारस्स अप्पाबहुगपरूवणं कायव्वं, उवसंतमोहणीयकम्मस्स णिज्जराभावादो। कसायखवगस्स गुणसेडिगुणो असंखेजगुणो ॥१८२॥ उवसंतकसायदुविहगुणसेडिउक्कस्सगुणगारेहितो तिण्णं खवगाणं दव्वट्ठियणएणएयत्तमावण्णाणं दुविहगुणगारो गुणसेडिजहण्णओ वि असंखेज्जगुणो । सेसं सुगमं ।। खीणकसायवीयरायछदुमत्थस्स गुणसेडिगुणो असंखेज्जगुणो ॥ १८३॥ कुदो ? मोहणीयस्स बंधुदय-संताभावेण वविदअणंतगुणकम्मणिज्जरणसत्तीदो ? अधापवत्तकेवलिसंजदस्स गुणसेडिगुणो असंखेजगणो ॥१८४१ को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। कुदो ? धादिकम्मक्खएण वड्डिदाणंतगुणकम्मणिज्जरणपरिणामादो। उससे उपशान्तकषाय वीतराग छद्मस्थका गुणश्रेणिगुणकार असंख्यातगुणा है ॥ १८१॥ शंका-गुणकार कितना है ? समाधान-वह पल्योपमके असंख्यातवें भाग प्रमाण है । यहाँ मोहनीय कर्मको छोड़कर शेष कर्मोकी दोनों गुणश्रेणियोंके गुणकार सम्बन्धी अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा करनी चाहिये, क्योंकि, यहां उपशम भावको प्राप्त मोहनीय कर्मकी निर्जरा सम्भव नहीं है। उससे कषायक्षपकका गुणश्रेणिगुणकार असंख्यातगुणा है ॥ १८२ ॥ उपशान्तकषायकी दोनों गुणश्रेणियों सम्बन्धी उत्कृष्ट गुणकारकी अपेक्षा द्रव्यार्थिक नयसे अभेदको प्राप्त हुए तीन क्षपकोंका जघन्य भी गुणश्रेणिगुणकार असंख्यातगुणा है। शेष कथन उससे क्षीणकषाय वीतराग छद्मस्थका गुणश्रेणिगुणकार असंख्यातगुणा है॥१८३ क्योंकि मोहनीयके बन्ध, उदय व सत्त्वका अभाव हो जानेसे कर्मनिर्जराकी शक्ति अनन्तगणी वृद्धिंगत हो जाती है। उससे अध:प्रवृत्त केवली संयतका गुणश्रेणिगुणकार असंख्यातगुणा है ॥१८४॥ गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है, क्योंकि, घातिया कर्मों के क्षीण हो जानेसे कर्मनिर्जराका परिणाम अनन्तगुणी वृद्धिको प्राप्त हो जाता है। सुगम है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001406
Book TitleShatkhandagama Pustak 12
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1955
Total Pages572
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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