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________________ ४, २, ५, ८८.] वेयणमहाहियोरे वैयणखेत्तविहाणे अप्पाबंदुर्ग (६७ पंचिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८४ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । तेइंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८५॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । चउरिंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८६ ॥ [को गुणगारो ? संखेज्जा समया । ] बेइंदियणिवत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८७॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरणिवत्तिअपजत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८८ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । उससे पंचेन्द्रिय निवृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८४ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे त्रीन्द्रिय निवृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८५ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८६ ॥ [गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। ] उससे द्वीन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उकृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८७ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । उससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उकृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८८ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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