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________________ ६८ ] [ ४, २, ५, ८९. पंचिंदियणिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखे ज्जगुणा ॥ ८९ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । तेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखे ज्जगुणा ॥ ९० ॥ छक्खंडागमे वैयणाखंड को गुणगारो ? संखेज्जा समया । चउरिंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९१ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । बेइंदियणिव्वत्तिपज्जन्यस्स उक्कस्सिया ओगाहणा संखेज्ज गुणा ॥ ९२ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । बादरवणफदिकाइयपत्तेयसरीरणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स स्सिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ९३ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । उससे पंचेन्द्रिय निर्वृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८९ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । उक्क उससे त्रीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९० ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । उससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९१ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । Jain Education International उससे द्वीन्द्रिय निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९२ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । उससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ९३ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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