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________________ छक्खंडागमे वेयणाखंडं [४, २, ५, ७९. तस्सेव णिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ७९ ॥ केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तो । बादरवणप्फदिकाइयपत्तेयसरीरणिवत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥८॥ को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो। बेइंदियणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ८१ ॥ को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जीदभागो। तेइंदियणिवत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥ ८२॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया ! ___ चरिंदियणिवत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा संखेज्जगुणा ॥८३॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । ........................ उससे उसके ही निर्वृत्तिपयर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है ॥७९॥ विशेष कितना है ? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। उससे बादर वनस्पतिकायिक प्रत्येकशरीर निवृत्तिपयर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ८०॥ गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योषमका असंख्यातवां भाग है । उससे द्वीन्द्रिय निवृत्तिपयर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ८१ ।। गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। उससे त्रीन्द्रिय निवृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८२ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। उससे चतुरिन्द्रिय निर्वृत्तिपयर्याप्तककी जघन्य अवगाहना संख्यातगुणी है ॥ ८३ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार संख्यात समय है। , प्रतिषु ' असंखज्जगुणा ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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