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४, २, ५, ७८.] वेयणमहाहियारे धेयणखेत्तविहाणे अप्पाबहुगं
(६५ केत्तियमेत्तेण ? अंगुलस्स असंखेजदिभागमेत्तेण ।
बादरणिगोदणिव्वत्तिपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ॥ ७४॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो ।
तस्सेव णिव्वत्तिअपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ७५ ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तो ।
तस्सेव णिव्वत्तिपज्जत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ७६ ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तो ।
णिगोदपदिहिदपज्जत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेज्जगुणा ॥ ७७॥
को गुणगारो ? पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागो।
तस्सेव णिव्वत्तिअपजत्तयस्स उक्कस्सिया ओगाहणा विसेसाहिया ॥ ७८ ॥
केत्तियमेत्तो विसेसो ? अंगुलस्स असंखेज्जदिभागमेत्तो ।
चितो मात्रसे वह अधिक है ? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग मात्रसे अधिक है। उससे बाद निगोद निर्वृत्तिपर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ।।७४॥ गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। उसे उसके ही निवृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है ।। ७५ ॥ विशेष कितना है ? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है। उससे ही निर्वृत्तिपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है ।। ७६ ॥ विशेष कितना है ? वह अंगुलके असंख्यात भाग प्रमाण है। उससे निगोदप्रतिष्ठित पर्याप्तककी जघन्य अवगाहना असंख्यातगुणी है ॥ ७७ ॥ गुणकार क्या है ? गुणकार पल्योपमका असंख्यातवां भाग है। उससे उसके ही निवृत्त्यपर्याप्तककी उत्कृष्ट अवगाहना विशेष अधिक है ॥ ७८ ॥ विशेष कितना है ? वह अंगुलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है।
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