________________
४, २, ५, १३. ]
पण महाहियारे वेयणखेत्तविहाणे सामित्तं
[ २५
एवमेगेगासपदेसूणाओ कमेण मारणंतियं मेलाविय अणुक्कस्सखेत्ताणं सामित्तपरूवणं कायव्वं । सत्तमपुढविं मारणंतियं मेल्लमाणजीवाणं मारणंतियखेत्तायामो सव्वेसिं किण्ण सरिसो ? ण, मारणंतियं मेल्लिदूर्ण पुणो मूलसरीरं पविसिय कालं करेंताणं मारणंतियखेत्तायामाणमणेगवियपत्तं पडि विरोहाभावादी । समुप्पत्तिक्खेत्तमपाविय कयमारणंतियसमुग्धादजीवा पल्लट्टिय मूलसरीरं पविरसंति त्ति कथं णव्वदे ? पवाइज्जतउवदेसादो । सुहुमणिगोदेसु उपज्जमाण महामच्छे अस्सिदूण किण्ण सामित्तं उच्चदे ? ण, तेसु तिव्ववेयणाकसायविवज्जिएस एक्कसराहेण महामच्छुक्कस्स मारणीतयखेत्तादो अणेगरज्जुमेत्तखेत्तपदेसूणेसु महामच्छुक्कस्सखेत्तादो पदेसूणादिखे त्तवियप्पाणुवलंभादो । सुहुमणिगोदे सुप्पज्जमाणमहामच्छस्स उक्कस्समारणंतियखेत्तसमाणं सत्तमपुढविम्हि समुप्पज्जमाणमहामच्छमारणं तियखेत्तप्पहुडि हेडिमखेत्तवियप्पा सुहुमणिगोदेसु सत्तमपुढवीए च उष्पज्जमानमहामच्छे अस्सिदूर्ण उप्पादेदव्वा | अहवा, महामच्छं चेव एगादिएगुत्तरागासपदेसकमेण पुरदो समुद्घातको छोड़नेवाले महामत्स्यके क्षेत्रके सदृश होता है । इस प्रकार एक एक आकाशप्रदेशकी हीनता के क्रमसे मारणान्तिकसमुद्घातको छुड़ाकर अनुत्कृष्ट क्षेत्रोंके स्वामित्वकी प्ररूपणा करना चाहिये ।
शंका- सातवीं पृथिवीमें मारणान्तिकसमुद्घातको करनेवाले सब जीवोंके मारणान्तिकक्षेत्रोंका आयाम समान क्यों नहीं होता ?
समाधान- नहीं, क्योंकि, मारणान्तिकसमुद्घातको करके फिर मूल शरीर में प्रवेश कर मृत्युको प्राप्त होनेवाले जीवों सम्बन्धी मारणान्तिकक्षेत्रोंके आयामोंके अनेक विकल्प रूप होने में कोई विरोध नहीं है ।
शंका-उत्पत्तिक्षेत्रको न पाकर मारणान्तिकसमुद्वातको करनेवाले जीव पलटकर मूल शरीरमें प्रविष्ट होते हैं, यह कैसे जाना जाता है ?
समाधान - वह परम्परागत उपदेश से जाना जाता है ।
शंका- सूक्ष्म निगोद जीवोंमें उत्पन्न होनेवाले महामत्स्योंका आश्रय करके स्वामित्व की प्ररूपणा क्यों नहीं की जाती है ?
समाधान - - नहीं, क्योंकि, तीव्र वेदना व कषायसे रहित होनेके कारण एक साथ पूर्वोक्त महामत्स्य के उत्कृष्ट मारणान्तिकक्षेत्रकी अपेक्षा अनेक राजु प्रमाण क्षेत्रप्रदेशोंसे होन उक्त निगोद जीवोंमें उत्पन्न होनेवाले महामत्स्योंमें, सातवीं पृथिवीमें उत्पन्न होनेवाले महामत्स्य के उत्कृष्ट क्षेत्र से एक प्रदेश कम दो प्रदेश कम इत्यादि क्षेत्र विकल्प नहीं पाये जाते ।
सूक्ष्म निगोद जीवों में उत्पन्न होनेवाले महामत्स्यके उत्कृष्ट मारणान्तिकक्षेत्रके समान सातवीं पृथिवीमें उत्पन्न होनेवाले महामत्स्यके मारणान्तिकक्षेत्रको आदि लेकर अधस्तन क्षेत्रके विकल्पोंको सूक्ष्म निगोद जीवों में और सातवीं पृथिवी में भी उत्पन्न होनेवाले महामत्स्योका आश्रय करके उत्पन्न करना चाहिये । अथवा, १ अ-काप्रत्योः ' मेल्लिदोण', ताप्रतौ 'मेहिदो ण ' इति पाठः । म
छ. ११-४.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org