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________________ १९६ ] छक्खंडागमे वेयणाखंड [ ४, २, ६, ५०. अपत्यस्स णामा - गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स णामागोदाणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स चदुष्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स चदुष्णं कम्माणं जहणियो आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पत्तयस्स चदुष्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया बाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । सणिपंचिंदियपजत्तयस्स णामा - गोदाणं जहणिया आबाहा संखेज्जगुणा । तस्सेव पज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संजगुणा । तस्सेव अपज्जत्तयस्स गामा-गोदाणं जहण्णिया आबाहा संखेखगुणा । तस्सेव अपत्यस्स चदुष्णं कम्माणं जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजत्तयस्स णामा - गोदाणमाबाहवाणविसेसो संखेज्जगुणो । आबाहाट्ठाणाणि एगरूवाहियाणि । उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमाबाहद्वाणविसेसो विसेसाहिओ । आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपयोतक के चार कमकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके चार कमोंकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तक के मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तक के मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तक के मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । संज्ञी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तक के मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तक के नाम घ गोत्रकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा संख्यातगुणी है । उसीके. अपर्याप्तकके नाम व गोत्रका आबाधास्थानविशेष संख्यातगुणा है । आवाधास्थान एक रूप से विशेष अधिक हैं । उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तक के चार कर्मोंका आबाधास्थानविशेष विशेष अधिक है। आबाधास्थान एक रूपसे विशेष अधिक १ ताप्रतौ ' कम्माणं उक्क० ( जह० ) ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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