SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 220
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ४, २, ६, ५०.] वेयणमहाहियारे वेयणकालविहाणे ठिदिबंधट्ठाणपरूवणा [१९५ तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्य उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आषाहा विसेसाहिया । चउरिंदियपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया. आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स णामा-गोदाणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्य चदुण्णं कम्माणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पज्जत्तयस्स चदुण्णं कम्माणमुक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तेइंदियपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपज्जत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स मोहणीयस्स उवकस्सिया आबाहा विसेसाहिया । चउरिंदियपजत्तयस्स मोहणीयस्य जहणिया आबाहा विसेसाहिया। तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स जहण्णिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव अपजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव पजत्तयस्स मोहणीयस्स उक्कस्सिया आबाहा विसेसाहिया । असण्णिपंचिंदियपजत्तयस्स गामा-गोदाणं जहणिया आबाहा संखेजगुणा । तस्सेव अपजत्तसस्स णामा-गोदाणं जहणिया आबाहा विसेसाहिया । तस्सेव मोहनीयकी जघन्य आवाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है । उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपयाँप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्थ आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोंकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके चार कर्मोकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके चार कौंकी उस्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। त्रीन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है। चतुरिन्द्रिय पर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है । उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी जघन्य आबाधा विशेष अधिक है। उसीके अपर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आबाधा विशेष अधिक है। उसीके पर्याप्तकके मोहनीयकी उत्कृष्ट आवाधा विशेष अधिक है । असंशी पंचेन्द्रिय पर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य आवाधा संख्यातगुणी है । उसीके अपर्याप्तकके नाम व गोत्रकी जघन्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy