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________________ १०४) छक्खंडागमे वेयणाखंड [ १, २, ६, ९. ट्ठाणं होदि । एदेणेव बिदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । तदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए तदियसमओ गलदि। एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तेसु पुणरुत्तट्ठाणेसु गदेसु । पुणो अप्पिदहिदिखंडयस्स चरिमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि, चरिमफालीए गदाए पुव्विल्लअपुणरुत्तहिदिसतेण समाणत्तमुवगयस्स विदिसंतस्स अघट्ठिदिगलणेण तत्तो समऊणत्तदंसणादो। पुणो बिदियजीवेण पढमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए पढमसमओ गलदि । विदियफालीए अवणिदाए तिस्से विदियसमओ गलदि । तदियफालीए अवणिदाए तदियसमओ गलदि । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तेसु पुणरुत्तट्ठाणेसु गदेसु चरिमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । कारणं पुत्वं व वत्तव्य । पुणो तदियजीवेणं पढमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए पढमसमओ गलदि । बिदियफालीए अवणिदाए तिस्से विदियसमओ गलदि । तदियफालीए अवणिदाए तिस्से तदियसमओ गलदि । एवं दुसमयूणउक्कीरणद्धामेत्तेसु पुणरुत्तट्ठाणेसु गदेसु पुणो एदेणेव गलता है । यह पुनरुक्त स्थान है। इसी जीवके द्वारा द्वितीय फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका द्वितीय समय गलता है । यह भी पुनरुक्त स्थान है। तृतीय फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका तृतीय समय गलता है। यह भी पुनरुक्त स्थान है। यही क्रम एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण पुनरुक्त स्थानोंके वीतने तक चालू रहता है। फिर विवक्षित स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है। यह अपुनरुक्त स्थान है, क्योंकि, अन्तिम फालिके वीतनेपर पूर्वके अपुनरुक्त स्थितिसत्त्वसे समानताको प्राप्त हुआ यह स्थितिसत्व अधःस्थितिके गलनेसे उसकी अपेक्षा एक समय कम देखा जाता है। तत्पश्चात् द्वितीय जीवके द्वारा प्रथम फालिके विघटित किये जाने पर उत्कीरण. कालका प्रथम समय गलता है। द्वितीय फालिके विघटित होनेपर उसका द्वितीय समय गलता है। तृतीय फालिके विघटित होनेपर उसका तृतीय समय गलता है। इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण पुनरुक्त स्थानोंके वीतनेपर जब अन्तिम फालि विघटित की जाती है तब उत्कीरणकाल का अन्तिम समय गलता है। यह अपुनरुक्त स्थान है। इसके कारणका कथन पहिलेके ही समान करना चाहिये। पुनः तृतीय जीवके द्वारा प्रथम फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका प्रथम समय गलता है। द्वितीय फालिके विघटित किये जानेपर उसका द्वितीय समय गलता है। तृतीय फालिके विघटित किये जाने पर उसका ततीय समय गलता है। इस प्रकार दो समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण पुनरुक्त स्थानोंके वीतनेपर फिर १ प्रतिषु · तदिय फालीए अवणिदाए जीवेण' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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