SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 127
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२१ छक्खागमे यणाखंड ४, २, ६, ९. रणद्धोए [ पढमसमओ गलदि । एदं पुणरुत्तट्ठाणं होदि । बिदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धा ] बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । तदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए तदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तेसु पुणरुत्तट्ठाणेसु । पुणो एदेणेव तदियट्ठिदिखंडयस्स चरिमफालीए अवनिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । पुणो तदियजीवेण तदियट्ठिदिखंडयस्स पढमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए पढमसमओ गलदि । एदं पुणरुत्तट्ठाणं होदि । पुणो बिदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धा बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । एदेणेव तदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए तदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तं होदि । एवं समऊणुक्कीरणद्धामत्सु पुणरुत्तट्ठाणेसु गदेसु तदो तदियकंदयचरिमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । कारणं सुगमं । पुणो च उत्थजीवेण तदियट्ठिदिखंडयस्स पढमफालीए [ अवणिदाए ] पढमसमओ गलदि । एदं पुणरुत्तट्ठाणं होदि । बिदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तट्ठाणं होदि । तदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए तदियसमओ गलदि । एदं अलग किये जानेपर उत्कीरणकालका [ प्रथम समय गलता है । यह पुनरुक्त स्थान है । द्वितीय फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका ] द्वितीय समय गलता है । यह भी पुनरुक्त स्थान है । तृतीय फालिके अलग होनेपर उत्कीरणकालका तृतीय समय 'गलता है । यह भी पुनरुक स्थान है । यही क्रम एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण पुनरुक्त स्थानोंमें चालू रहता है । पश्चात् इसी जीवके द्वारा तृतीय स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है । यह अपुनरुक्त स्थान हैं । पुनः तृतीय जीवके द्वारा तृतीय स्थितिकाण्डककी प्रथम फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका प्रथम समय गलता है । यह पुनरुक्त स्थान है । पश्चात् द्वितीय फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका द्वितीय समय गलता है । यह भी पुनरुक्त स्थान है। इसी जीवके द्वारा तृतीय फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका तृतीय समय गलता है । यह भी पुनरुक्त स्थान है । इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण पुनरुक स्थानोंके वीतने पर फिर तृतीय स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है । यह अपुनरुक्त स्थान है । इसका कारण सुगम है । प्रथम तत्पश्चात् चतुर्थ जीवके द्वारा तृतीय स्थितिकाण्डककी फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका प्रथम समय गलता है । यह पुनरुक्त स्थान है । द्वितीय फालिके विघटित होनेपर उत्कीरणकालका द्वितीय समय गलता है। यह भी पुनरुक स्थान है। तृतीय फालिके Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy