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________________ ९८] छक्खंडागमे वेयणाखंड [१, २, ६, ९. ऊणुक्कीरणद्धामेत्ताणि चेव अपुणरुत्तट्ठाणाणि उप्पादेदव्वाणि । पुणो उक्कीरणद्धाए चरिमसमएण बिदियट्टिदिखंडयचरिमफालि धेरेदूण हिदं जीवमेवं चेव ढविय पुणो एदेसु जीवेसु सव्वुक्कस्सहिदिसंतकम्मिएण बिदियट्टिदिखंडयस्स पढमफालीए अवणिदाए पढमसमओ गलदि । एदं ठाणं पुणरुत्तं होदि । बिदिय फालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तमेव । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तफालीओ जाव पदंति ताव पुणरुत्ताणि चव ट्ठाणाणि उप्पज्जति । पुणो एदेणेव बिदियट्ठिदिखंडयस्स चरिमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए. चरिमसमओ गलदि । एदमपुणरुत्तट्ठाणं होदि । कुदो १ पुव्वं ठविदूणागदहिदिसंतकम्मं पेक्खिदूण एदस्स ट्ठिदिसंतकम्मस्स समऊणत्तदसणादो । पुणो एदम्हादो बिदियजीवेण बिदियट्ठिदिखंडयस्स पढमफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए पढमसमओ गलदि । एदं पुणरुत्तट्ठाणं होदि । बिदियफालीए अवणिदाए उक्कीरणद्धाए बिदियसमओ गलदि । एदं पि पुणरुत्तमेव । एवं समऊणुक्कीरणद्धामेत्तफालीसु पदमाणियासु पुणरुत्ताणि चेव द्वाणाणि उप्पति । पुणो एदेणेव बिदियहिदिखंडयस्स चरिमफालीए पादिदाए उक्कीरणद्धाए चरिमसमओ गलदि । एवं प्रमाण फालियोंको अलग करके एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण ही अपुनरुक्त स्थानोंकों उत्पन्न कराना चाहिये । पश्चात् उत्कीरणकालके अन्तिम समयमें द्वितीय स्थितिकाण्ड ककी अन्तिम फालिको लेकर स्थित जीवको इसी प्रकार स्थापित करके फिर इन जीवों में से सर्वोत्कृष्ट स्थितिसत्कर्मिक जीवके द्वारा द्वितीय स्थितिकाण्डककी प्रथम फालिके अलग किये जाने पर प्रथम समय गलता है। यह स्थान पुनरुक्त है। द्वितीय फालिके अलग किये जाने पर उत्कीरणकालका द्वितीय समय गलता है। यह भी स्थान पुनरुषत ही है। इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण फालियां जब तक अलग होती हैं तब तक पुनरुक्त ही स्थान उत्पन्न होते हैं। फिर इसी जीवके द्वारा द्वितीय स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके अलग किये जानेपर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है । यह अपुनरुक्त स्थान है, क्योंकि, पहिले स्थापित करके आये हुए स्थितिसत्कर्मकी अपेक्षा यह स्थितिसत्कर्म एक समय कम देखा जाता है। तत्पश्चात् इस जीवकी अपेक्षा द्वितीय जीवके द्वारा द्वितीय स्थितिकाण्डककी प्रथम फालिके अलग किये जानेपर उत्कीरणकालका प्रथम समय गलता है। यह पुनरुक्त स्थान होता है। द्वितीय फालिके विघटित किये जानेपर उत्कीरणकालका द्वितीय समय गलता है। यह भी स्थान पुनरुक्त ही है। इस प्रकार एक समय कम उत्कीरणकाल प्रमाण फालियोंके अलग होने तक पुनरुक्त ही स्थान उत्पन्न होते हैं । पश्चात् इसी जीवके द्वारा द्वितीय स्थितिकाण्डककी अन्तिम फालिके अलग किये जाने पर उत्कीरणकालका अन्तिम समय गलता है। इस प्रकार अन्तिम समयके १ प्रतिषु पढमाणियासु' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001405
Book TitleShatkhandagama Pustak 11
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Balchandra Shastri, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1995
Total Pages410
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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