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शुद्धि-पत्र
क्रम नं.
विषय
पृष्ठ क्रम नं.
विषय
२०६ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्व
की चक्षुदर्शनी जीवोंके समान
प्ररूपणा २०७ असंशी जीवोंमें अभव्योंके
समान बन्धस्वामित्वकी प्ररूपणा
३८७
।२०८ आहारक जीवोंमें ओघके
समान बन्धस्वामित्वकी
प्ररूपणा २०९ अनाहारक जीवोंमें कार्मण
काययोगियोंके समान बन्धस्वामित्वकी प्ररूपणा
शुद्धि-पत्र
,
१२
पृष्ठ पं.
अशुद्ध किस गुणस्थान तक
किस गुणस्थानसे किस गुणस्थान तक ९ ४ उववसो
उवएसो बोच्छिंजदि
वोच्छिज्जदि बज्झति
बज्झंति बंधमाणाणि ।
बंधमाणाणि बंधति
बंधंति ,, २५-२६ दश प्रकृतियां तथा दर्शनावरणकी दश प्रकृतियों तथा दर्शनावरणकी चार ही ..... स्वोदयसे ही बंधती हैं, प्रकृतियोंको बांधनेवाले सब गुणस्थान
स्वोदयसे ही बांधते हैं, १६ ६ पुच्छणं पडिवणं।
पुच्छाणं पडिवणं वुच्चदे। " २२
ये तीन प्रश्न प्राप्त होते हैं। इन तीन प्रश्नोंका उत्तर कहते हैं । थि
इत्थि अशुभ, पांच
अशुभ पांच विहायोगति स्थावर
विहायोगति तथा स्थावर दु बावीसा
दुबावीसा २५ २० हे उदयवोच्छेदो
उदयवोच्छेदादो कदि गदिया
कदिगदिया वुच्चदे
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