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________________ १८४ विचार पखंडागमकी प्रस्तावना कम नं. विषय पृष्ठ क्रम नं. विषय - पृष्ठ ७७ प्रत्याख्यानावरणचतुष्कके बन्ध योगमार्गणा स्वामित्वका विचार । ८९ पांच मनोयोगी, पांच वचनयोगी ७८ पुरुषवेद और संज्वलनक्रोधके और काययोगी जीवों में सब बन्धस्वामित्वका विचार. प्रकृतियों के बन्धस्वामित्वकी ७९ संज्वलन मान और मायाके ओघके समान प्ररूपणा २०१ बन्धवामित्वका विचार १८५ | ९० उक्त जीवों में सातावेदनीय विष८० संज्वलन लोभक बन्धस्वामित्वका यक बन्धस्वामित्वकी कुछ " | विशेषता २०२ ८१ हास्य, रति, भय और जुगुप्साके |९१ औदारिककाययोगियों में मनुष्य बन्धस्वामित्वका विचार गतिके समान बन्धस्वामित्वकी ८२ मनुष्यायुके बन्धस्वामित्वका २०३ प्ररूपणा विचार ९२ उक्त जीवों में सातावेदनीयके ८३ देवायुके बन्धस्वामित्वका विचार १८७ / बन्धस्वामित्वकी मनोयोगियोंके समान प्ररूपणा २०५ ८४ देवगति आदिके बन्धस्वामित्वका विचार | ९३ औदारिकमिश्रकाययोगियों में - ८५ आहारकशरीर और आहारक पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्ध स्वामित्वका विचार अंगोपांगके बन्धस्वामित्वका विचार ९४ निद्रानिद्रा आदिके बन्ध. स्वामित्वका विचार ८६ तीर्थकर प्रकृतिके बन्धस्वामित्वका ९५ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्वका विचार विचार कायमार्गणा ९६ मिथ्यात्व आदिके बन्धस्वामित्वका ८७ पृथिवीकायिक, जलकायिक, विचार वनस्पतिकायिक, निगोद जीव ९७ देवचतुष्कके बन्धस्वामित्वका बादर सूक्ष्म पर्याप्त अपर्याप्त विचार २१४ तथा बादर वनस्पतिकायिक ९८ वैक्रियिककाययोगियों में देवप्रत्येकशरीर पर्याप्त अपर्याप्तोंमें गतिके समान बन्धस्वामित्वकी पंचेन्द्रिय तिर्यंच अपर्याप्तोंके प्ररूपणा २१५ समान बन्धस्वामित्वकी प्ररूपणा १९२ / ९९ वैक्रियिकामिश्रकाययोगियों में देव८८ तेजकायिक व वायुकायिक बादर गतिके समान बन्धस्वामित्वकी सूक्ष्म पर्याप्त अपर्याप्तोंमें कुछ प्ररूपणा २२२ विशेषताके साथ पंचेन्द्रिय १०० उक्त जीवोंमें तिर्यगायु और तिर्यंच अपर्याप्तोंके समान बन्ध मनुष्यायुके बन्धाभावकी स्वामित्वकी प्ररूपणा १९९. विशेषता २२० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001402
Book TitleShatkhandagama Pustak 08
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1947
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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