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________________ क्रम नं. विषय ५४ मनुष्य अपर्याप्तों में पंचेन्द्रिय तिर्यच अपर्याप्तोंके समान बन्धस्वामित्व की प्ररूपणा देवगतिमें ५५ देवोंमें पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्धस्वामित्व आदिका विचार बन्ध ५६ निद्रानिद्रा आदिके स्वामित्वका विचार ५७ मिध्यात्व स्वामित्वका विचार ५८ मनुष्यायुके विचार आदिके बन्धस्वामित्वका ५९ तीर्थकर प्रकृतिके बन्धस्वामित्व आदिका विचार ६४ निद्रानिद्रा आदि के स्वामित्वका विचार ६५ मिथ्यात्व आदिके स्वामित्वका विचार बन्ध Jain Education International बन्ध विषय-सूची पृष्ठ क्रम नं. बन्ध १३४ ६० भवनवासी, वानव्यन्तर और ज्योतिषी देवोंमें कुछ विशेषता के साथ सामान्य देवोंके समान बन्धस्वामित्व आदिकी प्ररूपणा १४६ ६१ सौधर्म और ईशान कल्पवासी देवों में सामान्य देवोंके समान बन्धस्वामित्वकी प्ररूपणा ६२ सनत्कुमारसे लेकर सहस्रार कल्प तकके देवों में प्रथम पृथि वीस्थ नारकियोंके समान बन्धस्वामित्व की प्ररूपणा ६३ आनत कल्पसे लेकर नौ ग्रैवेयक तक पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्धस्वामित्वका विचार १३७ १४१ १४३ १४४ १४५ ૨૩૭ १४८ १४९ १५२ १५३ ६६ मनुष्यायुके विचार ६७ तीर्थंकर विषय बन्धस्वामित्वका प्रकृति के बन्ध स्वामित्वका विचार ६८ अनुदिशोंसे लेकर सर्वार्थसिद्धि तक पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्धस्वामित्वका विचार इन्द्रियमाणा ६९ एकेन्द्रिय, बादर, सूक्ष्म, पर्याप्त अपर्याप्त, विकलत्रय पर्याप्त अपर्याप्त, तथा पंचेन्द्रिय अपर्याप्तों में पंचेन्द्रिय तिर्यच अपर्याप्तोंके समान बन्धस्वामित्वकी प्ररूपणा ७० पंचेन्द्रिय और पंचेन्द्रिय पर्याप्तों में पांच ज्ञानावरणीय आदिके बन्धस्वामित्व के विचार में बन्धक आदि विषयक तेईस प्रश्नोंके एक - द्विसंयोगादि भंगों की प्ररू पणा ७१ उक्त जीवों में निद्रानिद्रा आदिके बन्धस्वामित्वका विचार ७२ निद्रा और प्रचलाके बन्धस्वामित्वका विचार ७३ सातावेदनीयके बन्धस्वामित्वका विचार For Private & Personal Use Only ७४ असातावेदनीय आदि प्रकृतियों के विचार छह बन्धस्वामित्वका ७५ मिथ्यात्व आदिके बन्धस्वामित्वका विचार आदिके ७६ अप्रत्याख्यानावरणीय बन्धस्वामित्वका विचार ११ पृष्ठ १५४ "" १५५ १५८ १७० १७४ १७७ 66 १७८ १८० १८२ www.jainelibrary.org
SR No.001402
Book TitleShatkhandagama Pustak 08
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1947
Total Pages458
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size10 MB
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