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________________ २, १, ११.] सामित्ताणुगमे उदयहाणपरूवणा [ ५९ सत्तावीसाए डाणं होदि । भंगो एक्को | १ |। आणापाणपज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स उस्सासो पविट्ठो । ताधे अट्ठावीसाए ट्ठाणं । भंगो एको | १।। भासापज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स सुस्सरे पविढे एगुणतीसाए द्वाणं होदि । भंगो एको |१|| तं केवचिरं ? भासापज्जत्तीए पज्जत्तयदस्स पढमसमयप्पहुडि जाव आउअचरिमसमओ त्ति। तस्स पमाणं जहण्णेण अंतोमुहुत्तणदसवस्ससहस्साणि, उक्कस्सेण अंतोमुहुत्तणतेत्तीससागरोवमाणि। एत्थ सव्वभंगसमासो पंच | ५।। चदुगदिभंगसमासो सत्तसहस्सछस्सदसत्तरिपमाणं होदि | ७६७० ।। तम्हा णिरयगदि-तिरिक्खगदि-मणुस्सगदि-देवगदीणमुदएणेव णेरइओ तिरिक्खो प्रशस्तविहायोगति, इन दोको मिलादेनेपर सत्ताईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है। भंग एक है (१)। ___ आनप्राणपर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले देवके पूर्वोक्त सत्ताईस प्रकृतियोंमें उच्छ्वास और प्रविष्ट हो जाता है । उस समय अट्ठाईस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है। भंग एक है (१)। भाषापर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले देवके पूर्वोक्त अट्ठाईस प्रकृतियोंमें सुस्वरके प्रविष्ट हो जानेपर उनतीस प्रकृतियोंवाला उदयस्थान होता है । भंग एक है (१)। . शंका-इस उनतीस प्रकृतियोंवाले उदयस्थानका काल कितना है ? समाधान--भाषापर्याप्ति पूर्ण करलेनेवाले देवके प्रथम समयसे लेकर आयुका अन्तिम समय आने तक इस उदयस्थानका काल है । उस कालका प्रमाण कमसे कम अन्तर्मुहूर्तसे हीन दश हजार वर्ष और अधिकसे अधिक अन्तर्मुहूर्त कम तेतीस सागरोपमप्रमाण है। देवोंके पांचों उदयस्थानोंके समस्त भंगोंका योग पांच हुआ (५)। चारों गतियोंके उदयस्थानोंके भंगोंका योग हुआ सात हजार छह सौ सत्तर (७६७०)। गति उदयस्थान भंग नरक तिर्यंच ३२+५४+४९०६-४९९२ मनुष्य २६६८ देव ७६७० इस प्रकार चूंकि एक एक गतिके साथ अनेक कर्मप्रकृतियोंका उदय पाया जाता है, अतएव केवल नरकगतिके उदयसे नारकी होता है, तिर्यंचगतिके उदयसे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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