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________________ ५८५] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, ११-२, ३४. को गुणगारो ? संखेज्जा समया । के वि आइरिया बत्तीस रूवाणि त्ति भणति । । सोधम्मकप्पवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ ३४ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया । देवीओ संखेज्जगुणाओ ॥ ३५॥ को गुणगारो ? संखेज्जा समया बत्तीस रूवाणि वा ।। पढमाए पुढवीए णेरइया असंखेज्जगुणा ॥ ३६ ॥ को गुणगारो ? सगसंखेज्जदिभागभहियघणंगुलतदियवग्गमूलं । भवणवासियदेवा असंखेज्जगुणा ॥ ३७ ॥ को गुणगारो १ घणंगुलविदियवग्गमूलस्स संखेज्जदिभागो । देवीओ संखेज्जगुणाओ ॥ ३८ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया बत्तीसरुवाणि वा। गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है। कितने ही आचार्य गुणकार बत्तीस रूप है, ऐसा कहते हैं। सौधर्मकल्पवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥ ३४ ॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है । सौधर्मकल्पवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ३५ ॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय या बत्तीस रूप गुणकार है। प्रथम पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ ३६ ॥ गुणकार क्या है । अपने संख्यातवें भागसे अधिक धनांगुलका तृतीय वर्गमूल गुणकार है। भवनवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ ३७ ॥ गुणकार क्या है ? धनांगुलके द्वितीय वर्गमूलका संख्यातवां भाग गुणकार है। भवनवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ३८॥ गुणकार क्या हैं ? संख्यात समय या बत्तीस रूप गुणकार है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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