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२, ११-२, ३३.] अप्पाबहुगाणुगमे महादंडओ
[५८३ को गुणगारो ? संखेज्जा समया। कुदो ? उत्तरदिसं मोत्तूण सेसासु तासु दिसासु हिदसेडीयद्ध-पइण्णयसण्णिदविमाणेसु सम्बिदएसु च णिवसंतदेवाणं गहणादो ।
विदियाए पुढवीए णेरड्या असंखेज्जगुणा ॥३०॥ को गुणगारो ? सेडिबारसवग्गमूलं सुवसंखेज्जदिमागब्भहियं । मणुसा अपज्जत्ता असंखेज्जगुणा ॥ ३१ ॥
को गुणगारो ? सेडिबारसवग्गमूलस्स असंखेज्जदिभागो । को पडिभागो ? मणुसअपज्जत्तअवहारकालो पडिभागो ।
ईसाणकप्पवासियदेवा असंखेज्जगुणा ॥ ३२ ॥ को गुणगारो ? सूचिअंगुलस्स संखेज्जदिभागो। देवीओ संखेज्जगुणाओ॥ ३३ ॥
गुणकार क्या है ? संख्यात समय गुणकार है, क्योंकि, उत्तर दिशाको छोड़कर शेष तीन दिशाओंमें स्थित श्रेणीबद्ध और प्रकीर्णक नामके विमानों में तथा सब इन्द्रक विमानों में रहनेवाले देवोंका ग्रहण किया गया है।
द्वितीय पृथिवीके नारकी जीव असंख्यातगुणे हैं ॥ ३०॥
गुणकार क्या है ? अपने संख्यातवें भागसे अधिक जगश्रेणीका बारहवां वर्गमूल गुणकार है।
मनुष्य अपर्याप्त असंख्यातगुणे हैं ॥ ३१ ॥
गुणकार क्या है ? जगश्रेणीके बारहवें वर्गमूलका असंख्यातवां भाग गुणकार है। प्रतिभाग क्या है ? मनुष्य अपर्याप्तोका अवहारकाल प्रतिभाग है।
ईशानकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ ३२ ॥ गुणकार क्या है ? सूच्यंगुलका संख्यातवां भाग गुणकार है। ईशानकल्पवासिनी देवियां संख्यातगुणी हैं ॥ ३३ ॥
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१ ईसाणे सव्वत्थ वि बत्तीसगुणाओ होंति देवीओ। संखेज्जा सोहम्मे तओ असंखा भवणवासी ॥ पं.सं. २,६७.
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