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छक्खंडागमे खुदाबंधी [२,११-२, २५. चउत्थीए पुढवीए णेरड्या असंखेज्जगुणा ॥२५॥ को गुणगारो ? सेडिअट्ठमवग्गमूलं । बम्ह बम्हुत्तरकप्पवासियदेवा असंखेन्जगुणा ॥ २६ ॥ को गुणगारो ? सेडिनवमवग्गमूलं । तदियाए पुढवीए णेरइया असंखेज्जगुणा ॥ २७ ॥ को गुणगारो ? सेडिदसमवग्गमूलं । माहिंदकप्पवासियदेवा असंखेज्जगुणा ॥ २८ ॥
को गुणगारो ? सेडिएक्कारसवग्गमूलस्स संखेज्जदिभागो । सणक्कुमार-माहिददव्वमेगटुं करिय किण्ण परूविदं ? ण, जहा पुबिल्लाणं दोण्हं दोण्हं कप्पाणमेको चिय सामी होदि, तधा एत्थ दोण्हं कप्पाणमेक्को चेव सामी ण होदि त्ति जाणावणटुं पुध णिद्देसादो ।
सणक्कुमारकप्पवासियदेवा संखेज्जगुणा ॥ २९ ॥
चतुर्थ पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ २५ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका आठवां वर्गमूल गुणकार है । ब्रह्म-ब्रह्मोत्तरकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २६ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका नौवां वर्गमूल गुणकार है । तृतीय पृथिवीके नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ २७ ॥ - गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका दशवां वर्गमूल गुणकार है । माहेन्द्रकल्पवासी देव असंख्यातगुण हैं ॥ २८॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीके ग्यारहवें वर्गमूलका संख्यातवां भाग गुणकार है। शंका-सानस्कुमार और माहेन्द्र कल्पके द्रव्यको इकट्ठा कर क्यों नहीं कहा?
समाधान-नहीं, जिस प्रकार पूर्वोक्त दो दो कल्पोंका एक ही स्वामी होता है, उस प्रकार यहां दो कल्पोंका एक ही स्वामी नहीं होता, इस बातके ज्ञापनार्थ पृथक् निर्देश किया है।
सानत्कुमारकल्पवासी देव संख्यातगुणे हैं ॥ २९ ॥
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