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________________ अपाहुगागमे महादंडओ aste पुढवीए रइया असंखेज्जगुणा ॥ २० ॥ को गुणगारो ? सेडितदियवग्गमूलं । सदार सहस्सार कप्पवासियदेवा असंखेज्जगुणा ॥ २१ ॥ को गुणगारो ? सेडिच उत्थवग्गमूलं । २, ११–२, २४. ] सुक्क महासुक्ककप्पवासियदेवा असंखेज्जगुणां ॥ २२ ॥ को गुणगारो ? सेडिपंचमबग्गमूलं । पंचमढविणेरड्या असंखेज्जगुणा ॥ २३ ॥ को गुणगारो सेट्ठियग्गमूलं । लंतव-काविट्टकप्पवासियदेवा असंखेज्जगुणा || २४ ॥ को गुणगारो ? सेडिसत्तमवग्गमूलं । छठी पृथिवी नारकी असंख्यातगुणे हैं ।। २० ॥ गुणकार क्या है ? जगत्रेणीका तृतीय वर्गमूल गुणकार है । शतार- सहस्रार कल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २१ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका चतुर्थ वर्गमूल गुणकार है । शुक्र- महाशुक्रकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २२ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका पंचम वर्गमूल गुणकार है । पंचम पृथिवी नारकी असंख्यातगुणे हैं ॥ २३ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका छठा वर्गमूल गुणकार है । लान्तव-कापिष्टकल्पवासी देव असंख्यातगुणे हैं ॥ २४ ॥ गुणकार क्या है ? जगश्रेणीका सातवां वर्गमूल गुणकार है । [ ५८१ १ सुकंमि पंचमाए लंतय चोथीए बंम तच्चाए । माहिंद- सणकुमारे दोच्चाए मुकिमा मणया || पं.सं. २, ६६. २ प्रतिषु पंचमहापुढवी- ' इति पाठः । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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