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२, १, २. 1
सामित्तानुगमे अणियोगद्दारक्कमणिद्देसो
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सादिसपज्जवसिदो त्ति सामण्णेण अवगदे सेसाणिओगद्दाराणं पदणसंभवादो | दव्त्रपमाणे अणवगदे' खेत्तादिअंणियोगद्दाराणमधिगमोवाओ णत्थि त्ति दव्वाणिओगद्दारस्स पुव्वणिवेसो कदो । वट्टमाणपास परूवणाए विणा अदीद- वट्टमाणफासपरूवय फोसणाणिओगद्दाराधिगमोवाओ णत्थि त्ति खेत्ताणिओगद्दारस्स पुत्रं णिवेसो कदो | मग्गणाणमच्छिदखेत्ते अगदे तेसिं दव्वसंखाए च अवगदाए पच्छा तीदकालफासपरूवणा णायागदेति णिवेसिदा । मग्गणकाले अणवगदे तेसिमंतरादिपरूवणा ण घडदि ति पुव्वं कालाणिओगद्दारं परूविदं । कालजोणि अंतरमिदि कड्ड अंतरं तदणंतरे परूविदं । पुरा वुच्चमाणअप्पाबहुअस्स साहणो इदि भागाभागो परुविदो । एदेसिं पच्छा अप्पाबहुगागमो परुविदो, सव्वाणिओगद्दारेसु पडिबद्धत्तादो |
णाणाजीवेहि काल-भंगविचयाणं को विसेसो ? ण णाणाजीवेहि भंगविचयस्स
है, इसका सादि- सान्त है, ऐसा सामान्यरूपसे जान लेनेपर ही शेष अनुयोगद्वारोंका अवतार संभव हो सकता है । द्रव्यप्रमाणके जाने बिना क्षेत्रादि अनुयोगद्वारोंके जाननेका उपाय नहीं, इसलिये द्रव्यानुयोगद्वारका उनसे पहले स्थापन किया गया है । फिर उनमें भी वर्तमान स्पर्शन प्ररूपणाके बिना अतीत और वर्तमान स्पर्शन के प्ररूपक स्पर्शनानुयोगद्वारके जानने का उपाय नहीं, इसलिये क्षेत्रानुयोगद्वारका पहले निवेश किया । मार्गणाओंसम्बन्धी निवासक्षेत्रको जान लेने पर और उनके द्रव्यप्रमाणका भी ज्ञान हो जाने पर पश्चात् अतीतकालसम्बन्धी स्पर्शनप्ररूपणा न्यायागत है, इसलिये स्पर्शनप्ररूपणा रखी गई । मार्गणासम्बन्धी कालका जब तक ज्ञान न हो जाय तब तक उनकी अन्तरप्ररूपणा नहीं बनती, अतः उससे पूर्व कालानुयोगद्वारका प्ररूपण किया । कालसे ही उत्पन्न अन्तर है, ऐसा जानकर कालके अनन्तर अन्तरानुयोगद्वार प्ररूपित किया। आगे कहे जानेवाले अल्पबहुत्वका साधन होने से पहले भागाभाग प्ररूपित किया । और इन सबके पश्चात् अल्पबहुत्वानुगम प्ररूपित किया, क्योंकि वह पूर्ववर्ती सभी अनुयोगद्वारोंसे सम्बद्ध है ।
शंका- नाना जीवोंकी अपेक्षा काल और नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय इन दोनों में क्या भेद है ?
समाधान - नहीं, नाना जीवोंकी अपेक्षा भंगविचय नामक अनुयोगद्वार मार्गणा
१ प्रतिषु ' दव्वपमाणे ण अवगदे ' इति पाठः ।
२ कतौ ' णिव्वेसो ' इति पाठः ।
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