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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ११, १५९.
गुणगारो अभवसिद्धिएहि अनंतगुणो । कुदो ? असं खेज्जो दिसिद्धपमाणत्तादो । असंजदा अनंतगुणा ॥ १५९ ॥
गुणगारो अर्णताणि सव्वजीवपढमत्रग्गमूलाणि । कुदो ? सिद्धोवट्टिददेसणसब्जीवरासितादो | अण्णेण पयारेण अप्पाबहुगपरूवणट्टमुत्तरसुत्तं भणदि - सव्वत्थोवा सुहुमसांपराइयसुद्धिसंजदा ॥ १६० ॥ सुगमं ।
परिहार सुद्धिसंजदा संखेज्जगुणा ॥ १६९ ॥
गुणगारो संखेज्जसमया । जहाक्खादविहारसुद्धिसंजदा संखेज्जगुणा ॥ १६२ ॥ को गुणगारो ? संखेज्जसमया । सामाइय-छेदोवडावणसुद्धिसंजदा दो वि तुल्ला संखेज्जगुणा
५६२ ]
॥ १६३ ॥
गुणकार अभव्यसिद्धिक जीवोंसे अनन्तगुणा हैं, क्योंकि, वह असंख्यात से ( संयतासंयतों से ) अपवर्तित सिद्धराशिप्रमाण है ।
सिद्धोंसे असंयत जीव अनन्तगुणे हैं ।। १५९
गुणकार अनन्त सर्व जीव प्रथम वर्गमूल है, क्योंकि वह सिद्धोंसे अपवर्तित कुछ कम सर्व जीव राशिप्रमाण है । अन्य प्रकार से अल्पबहुत्व के निरूपणार्थ उत्तर सूत्र कहते हैं
सूक्ष्मसाम्परायिक शुद्धिसंयत जीव सबमें स्तोक हैं ।। १६० ।।
यह सूत्र सुगम है
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सूक्ष्मसाम्परायिक संयतोंसे परिहारशुद्धिसंयत संख्यातगुणे हैं ॥ १६१ ॥ गुणकार संख्यात समय है ।
परिहारशुद्धिसंयतों से यथाख्यातविहारशुद्धिसंयत जीव संख्यातगुणे हैं ॥ १६२ ॥ गुणकार क्या है ? संख्यात समय है । यथाख्यातविहारशुद्धिसंयतोंसे सामायिक शुद्धिसंयत और छेदोपस्थापनाशुद्धिसंयत दोनों ही तुल्य संख्यातगुणे हैं ॥ १६३ ॥
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