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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो [२, १०, ७५. अभवसिद्धिया सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ७५ ॥ सुगमं । अणंतभागो ॥ ७६॥ कुदो ? एदेहि सव्वजीवरासिम्हि भागे हिदे अणंतरूवावलंभादो ।
सम्मत्ताणुवादेण सम्माइट्ठी खइयसम्माइट्ठी वेदगसम्माइट्टी उवसमसम्माइट्ठी सासणसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्टी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ७७ ॥
सुगमं । अणंतो भागो ॥ ७८ ॥ ( कुदो ? एदेहि सबजीवरासिम्हि मागे हिदे अणंतरूवोवलंभादो। मिच्छाइट्टी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ७९ ॥
अभव्यसिद्धिक जीव सब जीवोंके कितनेवें भागप्रमाण हैं ? ।। ७५ ।। यह सूत्र सुगम है। अभव्यसिद्धिक जीव सब जीवोंके अनन्तवें भागप्रमाण हैं ॥ ७६ ॥ क्योंकि, इनका सर्व जीवराशिमें भाग देने पर अनन्त रूप उपलब्ध होते हैं।
सम्यक्त्वमार्गणाके अनुसार सम्यग्दृष्टि, क्षायिकसम्यग्दृष्टि, वेदकसम्यग्दृष्टि, उपशमसम्यग्दृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव सब जीवोंके कितनेवें भागप्रमाण हैं ? ॥ ७७ ॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व जीवोंके अनन्तवें भागप्रमाण हैं ॥ ७८ ॥ (क्योंकि, इनका सर्व जीवराशिमें भाग देनेपर अनन्त रूप उपलब्ध होते हैं। मिथ्यादृष्टि जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? ॥ ७९ ॥
१ अप्रती ' केवडिगो' इति पाठः ।
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