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२, १०, ११.] भागाभागाणुगमे इंदियमगणा सव्वजीवरासिस्स अणंतभागत्तमेदेसि साहेयव्वं ।
इंदियाणुवादेण एइंदिया सब्वजीवाणं केवडिओ भागो?॥११॥ सुगमं । अणंता भागा ॥ १२ ॥
तं जहा- सिद्ध-तसजीवेहि सव्वजीवरासिमवहारिय लद्धसलागमेत्तखंडाणि सव्वजीवरासिं कादण तत्थ एगभागं मोत्तण सेसबहुभागेसु गहिदेसु जेण एइंदियपमाणं होदि तेण सव्वजीवाणमणंताभागा एइंदिया होति ति सुत्ते उत्तं ।
बादरेइंदिया तस्सेव पज्जत्ता अपज्जत्ता सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ १३॥
सुगमं ।
असंखेज्जदिभागो ॥ १४ ॥
जीवराशिको अपवर्तित कर लब्ध राशिसे सर्व जीवराशिका अनन्तवां भागत्व इनको सिद्ध करना चाहिये।
इन्द्रियमार्गणाके अनुसार एकेन्द्रिय जीव सर्व जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? ॥११॥
यह सूत्र सुगम है। एकेन्द्रिय जीव सर्व जीवोंके अनन्त बहुभागप्रमाण हैं ॥ १२ ॥
वह इस प्रकार है-सिद्ध और सजीवोंसे सर्व जीवराशिको अपहृत कर लब्ध शलाकाप्रमाण सर्व जीवराशिको खण्डित कर उनमें एक भागको छोड़कर शेष बहुभागोंके ग्रहण करनेपर चूंकि एकेन्द्रिय जीवोंका प्रमाण होता है, इसलिये 'सर्व जीवोंके अनन्त बहुभागप्रमाण एकेन्द्रिय जीव होते हैं ' ऐसा सूत्र में कहा है।
चादर एकेन्द्रिय जीव और उनके ही पर्याप्त व अपर्याप्त जीव सर्व जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? ॥ १३ ॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व जीवोंके असंख्यातवें भागप्रमाण हैं ॥ १४ ॥
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