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२, ८, ४६.] णाणाजीवेण कालाणुगमे सम्मत्तमग्गणा
[ १७५ भवियाणुवादेण भवसिद्धिया अभवसिद्धिया केवचिरं कालादो होंति ? ॥४२॥
सुगमं । सव्वद्धा ॥४३॥ एवं पि सुगमं ।
सम्मत्ताणुवादेण सम्माइट्ठी खइयसम्माइट्टी वेदगसम्माइट्ठी मिच्छाइट्ठी केवचिरं कालादो होति ? ॥ ४४ ॥
सुगमं । सव्वद्धा ॥४५॥ एदं पि सुगमं ।
उवसमसम्माइट्ठी सम्मामिच्छाइट्ठी केवचिरं कालादो होति ? ॥४६॥
सुगमं ।
भव्यमार्गणाके अनुसार भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीव कितने काल तक रहते हैं ? ॥४२॥
यह सूत्र सुगम है। भव्यसिद्धिक और अभव्यसिद्धिक जीव सर्व काल रहते हैं ॥ ४३ ॥ यह सूत्र भी सुगम है।
सम्यक्त्वमार्गणाके अनुसार सम्यग्दृष्टि, क्षायिकसम्यग्दृष्टि, वेदकसम्यग्दृष्टि और मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल तक रहते हैं ? ॥४४॥
यह सूत्र सगम है। उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ? ॥ ४५ ॥ यह सूत्र भी सुगम है। उपशमसम्यग्दृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि जीव कितने काल तक रहते हैं ? ॥४६॥ पह सूत्र सुगम है।
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