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१४४] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ८, ३७. उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं ॥ ३७॥ एत्थ संखेज्जतोमुहुत्तसमाससमुन्भूदो अंतोमुहुत्तकालो परूवेदव्यो ।
दंसणाणुवादेण चक्खुदंसणी अचक्खुदंसणी ओहिदंसणी केवलदंसणी केवचिरं कालादो होति ? ॥ ३८ ॥
सुगमं । सव्वद्धा ॥ ३९॥ एदं पि सुगमं ।
लेस्साणुवादेण किण्हलेस्सिय-णीललेस्सिय-काउलेस्सिय-तेउलेस्सिय-पम्मलेस्सिय-सुक्कलेस्सिया केवचिरं कालादो होति ? ॥४०॥
सुगमं । सव्वद्धा ॥४१॥ एदं पि सुगमं ।
सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत जीव उत्कर्षसे अन्तर्मुहूर्त तक रहते हैं ॥ ३७॥
यहां संख्यात अन्तर्मुहूर्तोंके संकलनसे उत्पन्न हुए अन्तर्मुहूर्त कालकी प्ररूपणा करना चाहिये।
दर्शनमार्गणाके अनुसार चक्षुदर्शनी, अचक्षुदर्शनी, अवधिदर्शनी और केवलदर्शनी जीव कितने काल तक रहते हैं ? ॥३८॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ।। ३९ ॥ यह सूत्र भी सुगम है।
लेश्यामार्गणाके अनुसार कृष्णलेश्यावाले, नीललेश्यावाले, कापोतलेश्यावाले, तेजोलेश्यावाले, पद्मलेश्यावाले और शुक्ललेश्यावाले जीव कितने काल तक रहते हैं ? ॥४०॥
यह सूत्र सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ॥४१॥ यह सूत्र भी सुगम है।
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