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छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ८, १०. सव्वद्धा ॥ १०॥ एदं पि सुगमं ।
एवं भवणवासियप्पहुडि जाव सव्वट्ठसिद्धिविमाणवासियदेवा ॥ ११ ॥
सुगमं ।
इंदियाणुवादेण एइंदिया बादरा सुहुमा पज्जत्ता अपज्जत्ता बीइंदिया तीइंदिया चरिंदिया पंचिंदिया तस्सेव पज्जत्ता अपज्जत्ता केवचिरं कालादो होति ? ॥ १२ ॥
णत्थि एत्थ किं पि वत्तव्यं, सुगमत्तादो । सव्वद्धा ॥ १३ ॥ एदं पि सुगमं ।
देवगतिमें देव सर्व काल रहते हैं ॥ १० ॥ यह सूत्र भी सुगम है।
इसी प्रकार भवनवासी देवोंसे लेकर सर्वार्थसिद्धि विमानवासी देवों तक सब देव सर्व काल रहते हैं ॥ ११ ॥
यह सूत्र सुगम है।
इन्द्रियमार्गणाके अनुसार एकेन्द्रिय, एकेन्द्रिय पर्याप्त, एकेन्द्रिय अपर्याप्त; बादर एकेन्द्रिय, बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त, बादर एकेन्द्रिय अपर्याप्तः सूक्ष्म एकेन्द्रिय, सूक्ष्म एकेन्द्रिय पर्याप्त, सूक्ष्म एकेन्द्रिय अपर्याप्त द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय तथा उनके पर्याप्त और अपर्याप्त जीव कितने काल तक रहते है ? ॥ १२ ॥
यहां कुछ भी कहने के लिये नहीं है, क्योंकि इसका अर्थ सुगम है। उपर्युक्त जीव सर्व काल रहते हैं ॥ १३ ॥ यह सूत्र भी सुगम है।
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