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२, ७, २५५. ]
फोसणागमे सम्मत्तमग्गणा
[ ४५५
सास सम्माइट्टी सत्थाणेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥२५१ ॥
सुगमं ।
लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ २५२ ॥ सुगमं, वाणपणादो।
अgareसभागा वा देसूणा ॥ २५३ ॥
सत्थाणेण तिन्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणो फोसिदो । एसो वासदसमुच्चिदत्थो । विहारख दिसत्था - परिणएहि अट्ठचोदसभागा फोसिदा ।
समुग्धादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २५४ ॥
सुमं ।
लोगस्स असंखेज्जदिभागो ।। २५५ ॥
सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंने स्वस्थान पदोंसे कितना क्षेत्र स्पर्श किया है ?
॥ २५१ ॥
यह सूत्र सुगम
सासादनसम्यग्दृष्टि जीवोंने स्वस्थान पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श किया है ।। २५२ ।।
यह सूत्र सुगम है, क्योंकि, वर्तमान कालकी विवक्षा है ।
है ।
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अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा उक्त जीवोंने कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पर्श किये हैं ।। २५३ ॥
स्वस्थानकी अपेक्षा तीन लोकोंका असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग, और अढाईद्वीप से असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पृष्ट है । यह वा शब्दसे संगृहीत अर्थ है। विहारवत्स्वस्थान पद से परिणत सासादनसम्यग्दृष्टियों द्वारा आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं |
उक्त जीवों द्वारा समुद्घात पदोंसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ २५४ ॥ यह सूत्र सुगम है ।
उक्त जीवों द्वारा समुद्घात पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है || २५५ ॥
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