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४५२ ] छक्खंडागमे खुदाबंधो
[ २, ७, २४१. सुगमं । लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ २४१ ॥ सुगमं, वट्टमाणप्पणादो। अट्ठचोदसभागा वा देसूणा ॥ २४२ ॥
सत्थाणेहि तिण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, तिरियलोगस्स संखेजदिभागो, अड्डाइजादो असंखेज्जगुणो फोसिदो । एसो वासदेण समुच्चिदत्थो । विहारवदिसत्थाणवेयण-कसाय-वेउब्बिय-मारणंतिएहि अट्ठचोदसभागा देसूणा फोसिदा ।
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ २४३ ॥ सुगमं । लोगस्स असंखेज्जदिभागो ॥ २४४ ॥ सुगमं, वट्टमाणप्पणादो।
यह सूत्र सुगम है।
वेदकसम्यग्दृष्टि जीव स्वस्थान और समुद्घात पदोंसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पर्श करते है ॥ २४१ ।।
यह सूत्र सुगम है, क्योंकि, वर्तमान कालकी विवक्षा है ।
अथवा, अतीत कालकी अपेक्षा वेदकसम्यग्दृष्टि जीवों द्वारा कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ।। २४२ ॥
स्वस्थान पदसे तीन लोकोंका असंख्यातवां भाग, तिर्यग्लोकका संख्यातवां भाग, और अढ़ाईद्वीपसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पृष्ट है। यह वा शब्दसे संगृहीत अर्थ है। विहारवत्स्वस्थान, वेदना, कषाय, वैक्रियिक और मारणान्तिक पदोंसे कुछ कम आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं ।
उक्त वेदकसम्यग्दृष्टियों द्वारा उपपाद पदसे कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥२४३॥ यह सूत्र सुगम है।
वेदकसम्यग्दृष्टियों द्वारा उपपाद पदसे लोकका असंख्यातवां भाग स्पृष्ट है ॥२४४ ॥
यह सूत्र सुगम है, क्योंकि, वर्तमान कालकी विवक्षा है ।
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