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३९८ छक्खंडागमै खुदाबंधो
[२, ७, ६३. ___ लोगस्स असंखेज्जदिभागो त्ति णिदेसो वट्टमाणावेक्खो । तेणेत्थ खेत्तवण्णणा कायव्वा । वेयण-कसाय-वेउविएहि अट्टचोदसभागा फोसिदा, विहरंतदेवाणं सव्वत्थ वेयण-कसाय-विउवणाणं विरोहाभावादो। तेजाहारपदेहि चदुण्हं लोगाणमसंखज्जदिभागो, माणुसखेत्तस्स संखेज्जदिभागो । दंडगदेहि चदुहं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, माणुसखेत्तादो असंखेज्जगुणो । एवं कवाडगदेहि दि । णवरि तिरियलोगादो संखेज्जगुणो। एसो वासदत्थो। पदरगदेहि असंखेज्जा भागा, वादवलए मोत्तूण सव्वत्थावूरणादो। मारणंतिय-लोगपूरणेहि सबलोगो फोसिदो ।
उववादेहि केवडियं खेत्तं फोसिदं ? ॥ ६३॥ सुगमं । लोगस्स असंखेज्जदिभागो सबलोगो वा ॥ ६४ ॥ लोगस्स असंखज्जदिभागो त्ति णिद्देसो वट्टमाणावेक्खो । तेणेत्थ खेत्तवण्णणा
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'लोकका असंख्यातवां भाग' यह निर्देश वर्तमान कालकी अपेक्षा है। इस कारण यहां क्षेत्रप्ररूपणा करना चाहिये। वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात और वैक्रियिकसमुद्घात पदोंसे आठ बटे चौदह भाग स्पृष्ट हैं, क्योंकि, विहार करनेवाले देवोंके सर्वत्र वेदनासमुद्घात, कषायसमुद्घात और वैक्रियिकसमुद्घात पदों के विरोधका अभाव है । तैजससमुद्घात व आहारकसमुद्घात पदोंसे चार लोकोंका असंख्यातवां भाग और मानुषलोकका संख्यातवां भाग स्पृष्ट है। दण्डसमुद्घातको प्राप्त जीवों द्वारा चार लोकोंका असंख्यातवां भाग और मानुषक्षेत्रसे असंख्यातगुणा क्षेत्र स्पृष्ट है। इसी प्रकार कपाटसमुद्घातगत जीवों द्वारा भी स्पृष्ट है। विशेष इतना है कि उनके द्वारा तिर्यग्लोकसे संख्यातगुणा क्षेत्र स्पृष्ट है । यह वा शब्दसे सूचित अर्थ है। प्रतरसमुद्घातगत जीवों द्वारा लोकका असंख्यात बहुभागप्रमाण क्षेत्र स्पृष्ट है, क्योंकि, इस अवस्था में लोक वातवलयोंको छोड़कर सर्वत्र जीवप्रदेशोंसे पूर्ण होता है। मारणान्तिकसमुद्घात व लोकपूरणसमुद्घात पदोंसे सर्व लोक स्पृष्ट है।
उपर्युक्त जीवों द्वारा उपपादकी अपेक्षा कितना क्षेत्र स्पृष्ट है ? ॥ ६३ ॥ यह सूत्र सुगम है।
उपर्युक्त जीवों द्वारा उपपादकी अपेक्षा लोकका असंख्यातवां भाग, अथवा सर्व लोक स्पृष्ट है ।। ६४॥
'लोकका असंख्यातवां भाग ' यह निर्देश वर्तमान कालकी अपेक्षासे है । इस
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