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३०६] छक्खंडागमे खुदाबंधो
[२, ६, ७. तिणि वि सत्थाणसत्थाण-विहारवदिसत्थाण-वेदण-कसायसमुग्यादगदा तिण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागे, तिरियलोगस्स संखेज्जदिभागे, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणे अच्छंति । कुदो ? एदेसि संखेज्जघणंगुलोगाहणत्तादो। पंचिंदियतिरिक्खेसु अपज्जत्तरासी होदि बहुओ, तक्खेत्तेण किण्ण ओवट्टणा कीरदे ? ण, तत्थ अंगुलस्स असंखेज्जदिभागोगाहणम्मि बहुवखेत्ताणुवलंभादो । विहारपाओग्गरासिस्स संखेज्जा भागा सत्थाणसत्थाणरासीए एत्थ संखेज्जदिभागमेत्ता सेसरासीओ त्ति घेत्तव्यं ।
वेउव्वियसमुग्धादखेत्तं चदुण्हं लोगाणमसंखेज्जदिभागो, अड्डाइज्जादो असंखेज्जगुणं । कुदो ? तिरिक्खेसु विउवमाणरासिस्स असंखेज्जघणंगुलेहि गुणिदसेडिमेत्तपमाणुवलंभादो। एदे तिणि वि मारणंतियसमुग्घादगदा तिण्हं लोणाणमसंखेज्जदिमागे अच्छंति । कुदो ? एदेसिं तिण्हं पंचिंदियतिरिक्खाणं पलिदोवमस्स असंखेज्जदिभागमेत्तभागहारुवलंभादो । तं जहा- एदाओ तिण्णि वि रासीओ पहाणीभूदसंखेजवस्साउअतिरिक्खोवक्कमणकालेण आवलियाए असंखेज्जदिभागेण भागे हिदे एगसमएण मरंतजीवाणं पमाणं होदि । एदेसिमसंखेज्जदिभागो चेव मारणंतिएण विणा णिप्फिड
विहारवत्स्वस्थान, वेदनासमुद्घात और कषायसमुद्घातको प्राप्त होकर तीन लोकोंके असंख्यातवें भागमें, तिर्यग्लोकके संख्यातवें भागमें और अढ़ाई द्वीपसे असंख्यातगुणे क्षेत्रमें रहते हैं, क्योंकि, ये संख्यात धनांगुलप्रमाण अवगाहनावाले हैं ।
शंका-पंचेन्द्रिय तिर्यंचोंमें अपर्याप्त राशि बहुत है, इसलिये उनके क्षेत्रसे क्यों नहीं अपवर्तन करते?
समाधान-नहीं, क्योंकि, पंचेन्द्रिय तिर्यच अपर्याप्तोंमें अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण अवगाहना होनेसे बहुत क्षेत्रकी प्राप्ति नहीं होती। विहारप्रायोग्यराशिके संख्यात बहुभागप्रमाण एवं स्वस्थानस्वस्थान राशिके संख्यातवें भागमात्र यहां शेष राशियां हैं, ऐसा ग्रहण करना चाहिये।
वैक्रियिकसमुद्घातक्षेत्र चार लोकोंके असंख्यातवें भाग और अढ़ाई द्वीपसे असंख्यातगुणा है, क्योंकि, तिर्यंचोंमें विक्रिया करनेवाली राशिका प्रमाण असंख्यात घनांगुलोंसे गुणित जगश्रेणीमात्र पाया जाता है। ये तीनों ही तिर्यच मारणान्तिकसमुद्घातको प्राप्त होकर तीन लोकोंके असंख्यातवें भागमें रहते हैं, क्योंकि, इन तीनों पंचेन्द्रिय तिर्यचौके पल्योपमके असंख्यातवें भागमात्र भागहार उपलब्ध है । वह इस प्रकार है- इन तीनों ही राशियों में प्रधानभूत संख्यातवर्षायुष्क तिर्यचोंके उपक्रमणकालरूप आवलीके असंख्यातवें भागका भाग देनेपर एक समयमें मरनेवाले जीवोंका प्रमाण होता है । इनके असंख्यातवें भाग ही मारणान्तिकसमुद्घातके विना मरण करने
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