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२, २, १५८.] एगजीवण कालाणुगमे सुहुमसापराइयादिकालपरूवणं [१६९
सुगमं । उवसमं पडुच्च जहण्णेण एगसमओ ॥ १५४ ॥
कुदो ? चडतो वा अणियट्टी उवसमओ उवसंतकसाओ वा सुहुमसांपराइयसुद्धिसंजदो जादो, तत्थ एगसमयमाच्छय विदियसमए मुदस्स तदुवलंभादो।
उक्कस्सेण अंतोमुहत्तं ॥ १५५ ॥ सुहुमसांपराइयगुणट्ठाणम्मि अंतोमुहुत्तादो अहियकालमबहाणाभावा । खवगं पडुच्च जहण्णेण अंतोमुत्तं ॥ १५६ ॥ कुदो ? सुहुमसांपराइयखवगस्स मरणाभावादो। उक्कस्सेण अंतोमुत्तं ॥ १५७ ॥ सुगमं । जहाखादविहारसुद्धिसंजदा केवचिरं कालादो होति ?॥१५८॥
यह सूत्र सुगम है।
उपशमकी अपेक्षा कमसे कम एक समय तक जीव सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत रहते हैं ।। १५४ ॥
क्योंकि, चढ़ता हुआ अनिवृत्ति करण उपशमक अथवा उपशान्तकषाय जीव सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत हुआ, वहां एक समय रहकर द्वितीय समयमें मरणको प्राप्त हुए उसके सूत्रोक्त काल पाया जाता है।
___अधिकसे अधिक अन्तर्मुहूर्त काल तक जीव सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत रहते -
क्योंकि, सूक्ष्म साम्परायिक गुणस्थानमें अन्तर्मुहर्तसे अधिक काल तक अवस्थान ही नहीं होता।
क्षपककी अपेक्षा कमसे कम अन्तर्मुहूर्त काल तक जीव मूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत रहते हैं ॥ १५६ ।।
क्योंकि, सूक्ष्म साम्परायिकशुद्धिसंयत क्षपकके मरणका अभाव है। अधिकसे अधिक अन्तर्मुहूर्त काल तक जीव सूक्ष्मसाम्परायिकशुद्धिसंयत रहते
यह सूत्र सुगम है। जीव यथाख्यातविहारशुद्धिसंयत कितने काल तक रहते हैं ? ॥ १५८ ।
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