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________________ १२०] छक्खंडागमे खुदाबंधो [२, २, ९. लिदो त्ति एदे णव इंदया । एदेसिमाउअं पुध्वं व जाणिदूर्ण आणेदव्यं । तेसिं संदिट्ठी एसा HTTERTA७|| चउत्थीए पुढवीए आरो तारो मारो वंतो तमो खादो खदखदो चेदि सत्त इंदया । एदेसिमाउअपमाण' पुव्वं व आणेदव्यं । तस्स संदिट्ठी एसा हासाग १०। पंचमीए पुढवीए तमो भमो झसो अंधो तिमिसो चेदि पंच इंदया। एदेसिमाउअपमाणस्स संदिट्ठी एसा | |१७ । छट्ठीए पुढवीए हिमो वड्डलो लल्लंको चेदि तिण्णि इंदया । तेसिमाउअपमाणस्स संदिट्ठी एसा |||२२|| सत्तमाए पुढवीए अवहिट्ठाणमिदि एक्को चेव इंदओ । तत्थ जहण्णु सुप्रज्वलित और संप्रज्वलित नामक नव इन्द्रक हैं । इनकी आयु भी पूर्वोक्त विधिसे जानकर ले आना चाहिये । उनकी संदृष्टि इस प्रकार है आ. प्र. सा. ३१ ३६।४३/४६/५६ । ५६।६६।६६। ७ चौथी पृथिवीमें आर, तार, मार, वान्त, तम, खात और खातखात नामक सात इन्द्रक हैं। इनका आयुप्रमाण भी पूर्वानुसार ले आना चाहिये । उसकी संदृष्टि इस प्रकार है | प्रस्तर । १ | २ | ३ | ४ । ५ । ६ । ७ । | आ. प्र. सा. |७१७१८३८५।९ । ९४ | १०| पांचवीं पृथिवीमें तम, भ्रम, झष, अन्ध, और तिमिस्र नामक पांच इन्द्रक हैं। उनके आयुप्रमाणकी संदृष्टि इस प्रकार है | प्रस्तर । १ | २ | ३ | ४ | ५ | छठी पृथिवीमें हिम, वर्दल और ललंक नामक तीन इन्द्रक हैं। उनके आयु. प्रमाणकी संदृष्टि यह है प्रस्तर । १ । २ | आ. प्र. सा. । १८३ | २०३ । २२ । सातवीं पृथिवीमें अवधिस्थान नामक एक ही इन्द्रक हैं । वहां जघन्य आयु १ कप्रतौ । एदेसिमाउआणं पमाणं ' इति पाठः । २ प्रतिषु ' अल्लंको' इति पाठः। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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