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________________ ११८] छक्खंडागमे खुदाबंधो [२, २, ८. सुगममेदं । जहण्णेण एक्क तिण्णि सत्त दस सत्तारस बावीस सागरोवमाणि सादिरेयाणि ॥ ८॥ बिदियाए पुढवीए समयाहियमेक्कं सागरोवमं । तदियाए पुढवीए तिण्णि सागरोवमाणि समयाहियाणि । चउत्थीए पुढवीए सत्त सागरोवमाणि समयाहियाणि । पंचमीए पुढवीए दस सागरोवमाणि समयाहियाणि । छट्ठीए पुढवीए सत्तारस सागरोवमाणि समयाहियाणि। सत्तमीए पुढवीए बावीस सागरोवमाणि समयाहियाणि । सादिरेयमिदि वुत्ते एक्को चेव समओ अहिओ त्ति कधं णव्वदे ? ' उवरिल्लुक्कस्सद्विदी समयाहिया हेट्ठिमपुढवीणं जहण्णा' त्ति' वयणादो णव्वदे। ___ उक्कस्सेण तिणि सत्त दस सत्तारस बावीस तेत्तीसं सागरो. वमाणि ॥९॥ यह सूत्र सुगम है। कमसे कम दूसरी पृथिवीमें कुछ अधिक एक सागरोपम, तीसरी में कुछ आधिक तीन, चौमें कुछ अधिक सात, पांचवीमें कुछ अधिक दश, छठवींमें कुछ अधिक सत्तरह और सातवीं में कुछ अधिक बाईस सागरोपम तक नारकी जीव रहते हैं ।। ८ ।। दूसरी पृथिवीमें एक समय अधिक एक सागरोपम, तीसरी पृथिवीमें एक समय अधिक तीन सागरोपम, चौथी पृथिवीमें एक समय अधिक सात सागरोपम, पांचवीं पृथिवीमें एक समय अधिक दश सागरोगम, छठी पृथिवीमें एक समय अधिक सत्तरह सागरोपम और सातवीं पृथिवीमें एक समय अधिक वाईस सागरोपम आयुका प्रमाण है। शंका-सूत्र में जो 'सातिरेक' अर्थात् 'कुछ अधिक' शब्द आया है उससे एक मात्र समय ही अधिक होता है यह कैसे जान लिया ? समाधान-क्योंकि 'उत्तरोत्तर ऊपरकी उत्कृष्ट स्थिति एक समय अधिक होकर नीचे नीचेकी पृथिवियोंकी जघन्य स्थिति होती है' इस आगमवचनसे ही जाना जाता है कि उपर्युक्त पृथिवियोंकी जघन्यायुमें सातिरेकका प्रमाण एक मात्र समय अधिक है। द्वितीयादि पृथिवियोंमें नारकी जीव अधिकसे अधिक क्रमशः तीन, सात, दश, सत्तरह, बाईस और तेतीस सागरोपम काल तक रहते हैं ॥९॥ १ मारकाणां च द्वितीयादिषु । त. सू. ४, ३५. उवरिमउक्कस्साऊ समय दो देहिमे जहणं च ॥ ति. प. २,२१४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001401
Book TitleShatkhandagama Pustak 07
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1945
Total Pages688
LanguagePrakrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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