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________________ १,९-१, ८.] चूलियाए पगडिसमुक्कित्तणे मोहणीयं [११ तस्सत्थित्तं कुदोवगम्मदे ? सुख-दुक्खकज्जण्णहाणुववत्तीदो । ण कज्जं कारणणिरवेक्खमुप्पज्जदे, अण्णत्थ तहाणुवलंभा । ण जीवो दुक्खसहावो, जीवलक्खणणाण-दसणविरोहिदुक्खस्स जीवसहावत्तविरोहा । मोहणीयं ॥ ८॥ मुह्यत इति मोहनीयम् । एवं संते जीवस्स मोहणीयत्तं पसज्जदि त्ति णासंकणिज्जं, जीवादो अभिण्णम्हि पोग्गलदव्ये कम्मसण्णिदे उवयारेण कत्तारत्तमारोविय तथा उत्तीदो । अथवा मोहयतीति मोहनीयम् । एवं संते धत्तूर-सुरा-कलत्तादीणं पि मोहणीयत्तं पसज्जदीदि चे ण, कम्मदव्यमोहणीये एत्थ अहियारादो । ण कम्माहियारे धत्तरसुरा-कलत्तादीणं संभवो अत्थि । किं कम्मं ? पोग्गलदव्यं । जदि एवं, तो सव्यपोग्गलाणं शंका-उस वेदनीयकर्मका अस्तित्व कैसे जाना जाता है ? समाधान-सुख और दुःखरूप कार्य अन्यथा हो नहीं सकते हैं, इस अन्यथानुपपत्तिसे वेदनीयकर्मका अस्तित्व जाना जाता है । कारणसे निरपेक्ष कार्य उत्पन्न नहीं होता है, क्योंकि, अन्यत्र उस प्रकार देखा नहीं जाता है। जीव दुःखस्वभावी नहीं है, क्योंकि, जीवके लक्षणस्वरूप ज्ञान और दर्शनके विरोधी दुःखको जीवका स्वभाव मानने में विरोध आता है। मोहनीय कर्म है ॥ ८॥ जिसके द्वारा मोहित हो, वह मोहनीय कर्म है । शंका-इस प्रकारकी व्युत्पत्ति करनेपर जीवके मोहनीयत्व प्राप्त होता है ? समाधान-ऐसी आशंका नहीं करना चाहिए, क्योंकि, जीवसे अभिन्न और 'कर्म' ऐसी संज्ञावाले पुद्गलद्रव्यमें उपचारसे कर्तृत्वका आरोपण करके उस प्रकारकी व्युत्पत्ति की गई है। अथवा, जो मोहित करता है, वह मोहनीय कर्म है। शंका-ऐसी व्युत्पत्ति करनेपर धतूरा, मदिरा और भार्या आदिके भी मोहनीयता प्रसक्त होती है ? समाधान-नहीं, क्योंकि, यहां पर मोहनीयनामक द्रव्यकर्मका अधिकार है, अतएव कर्मके अधिकारमें धतूरा, मदिरा और स्त्री आदिकी संभावना नहीं है। शंका-कर्म क्या वस्तु है ? समाधान-कर्म पुद्गल द्रव्य है। १मोहयति मुह्यतेऽनेनेति वा मोहनीयम् । स. सि. ८. ४.; त. रा. वा. ८, ४. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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