SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 55
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ विषय नवासी देवोंके प्रवेश व निर्गमनके गुणस्थान । क्रम नं. सर्वार्थसिद्धि ९ अनुदिशादि विमानवासी देवोंके प्रवेश व निर्गमनके गुणस्थान | १० मिथ्यादृष्टि व सासादनसम्यग्दृष्टि नारकियोंकी आगतिका निरूपण । 1 ११ सम्यग्मिथ्यादृष्टिनारकियों की आगति । १२ सम्यग्दृष्टि आगति । नारकियोंकी १३ सप्तम पृथिवीके मिथ्यादृष्टि नारकियोंकी आगति । १४ सप्तम पृथिवीके सासादनसम्यग्दृष्टि, सम्यग्मिथ्यादृष्टि और असंयतसम्यग्दृष्टि नारकियोंकी आगति । १५ तिर्यच संज्ञी मिथ्यादृष्टि पर्याप्त कर्मभूमिजोंकी गति । १६ पंचेन्द्रिय तिर्यच असंक्षी पर्याप्तों की गति । १७ पंचेन्द्रिय तिर्यच संज्ञी व असंज्ञी आदिकों की गति । १८ तेजस्कायिक व वायुकायिक जीवों की गति । १९ तिर्यच सासादन सम्यग्दृष्टि कर्मभूमि की गति । २० तिर्यच सम्यग्मिथ्यादृष्टि योंकी गति । २१ तिर्यच असंयत सम्यग्दृष्टियोकी गति । २२ तिर्यच मिथ्यादृष्टि व सासादनसम्यग्दृष्टि भोगभूमिजोकी गति । Jain Education International विषय-सूची पृष्ठ नं. क्रम नं. ४४३ ४४६ ४४७ ४५० ४५१ ४५२ ४५४ ४५४ ४५५ ४५७ ४५८ ४५८ ४६३ ૪૬૪ ४६६ विषय २३ तिर्यच सम्यग्मिथ्यादृष्टि व असंयतसम्यग्दृष्टि भोगभूमिजोकी गति । २४ मनुष्य पर्याप्त मिथ्यादृष्टि कर्मभूमिजोकी गति । २५ अपर्याप्त मनुष्योंकी गति । २६ मनुष्य सासादन सम्यग्दृष्टियोंकी गति । २७ मनुष्य सम्यग्मिथ्यादृष्टि और सम्यग्दृष्टि कर्मभूमिजोंकी गति । २८ मनुष्य मिथ्यादृष्टि और भोग सासादन सम्यग्दृष्टि भूमिजोंकी गति । २९ मनुष्य सम्यग्मिथ्यादृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टि भोगभूमिजोंकी गति । ३० देव मिध्यादृष्टि और सासादनसम्यग्दृष्टियोंकी आगति । ३१ देव सम्यग्मिथ्यादृष्टि और सम्यग्दष्टियोंकी आगति । ३२ भवनवासी, वानव्यन्तर और ज्योतिषी देवोंकी आगति । ३३ सनत्कुमारप्रभृति शतार सहस्रार कल्पवासी देवोंकी आगति । ३४ आनतादि नवग्रैवेयकविमानवासी मिथ्यादृष्टि, सासादनसम्यग्दृष्टि, असंयतसम्यदृष्टि और सम्यग्मिथ्यादृष्टि देवोंकी आगति । ३५ अनुदिशादि सर्वार्थसिद्धिविमानवासी असंयतसम्यदृष्टि देवोंकी आगति । ३६ सप्तम पृथिवीके नारकियोंकी आगति और गुणोंकी प्राप्ति । ( ३९ ) पृष्ठ नं. For Private & Personal Use Only ४६७ પર ४६९ ४७० ४७३ ४७६ ४७७ ४७७ ४८० ૪૨ ४८२ ४८३ ४८४ www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy