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________________ पृष्ठ नं. (४०) पखंडागमको प्रस्तावना क्रम नं. विषय पृष्ठ नं. | क्रम नं. विषय ३७ छठी पृथिवीके नारकियोंकी तथा सौधर्म-ईशानकल्पवा___आगति और गुणोंकी प्राप्ति । सिनी देवियोंकी आगति और ३८ पंचम पृथिवीके नारकियोंकी गुणोंकी प्राप्ति। ___ आगति और गुणोंकी प्राप्ति। ४८७ | ४४ बौद्धों द्वारा माना हुआ ३९ चतुर्थ पृथिवीके नारकियोंकी मोक्षस्वरूप एवं उसका निरसन । आगति और गुणोंकी प्राप्ति एवं मोक्षका स्वरूप दिखलाते | ४५ सौधर्मादि सहस्रारकल्पवासी हुए कपिल, नैयायिक, वैशे देवोंकी आगति और गुणोंकी षिक, सांख्य, मीमांसक और प्राप्ति। तार्किकोंके मतोंका निराकरण । ૪૮૮ ४६ आनतादि नवौवेयकविमा४० तीन उपरिम पृथिवीके नार नवासी देवोंकी आगति और कियोंकी आगति और गुण गुणोंकी प्राप्ति । प्राप्ति । || ४७ अनुदिशादि अपराजित ४१ तिर्यंच और मनुष्योंकी गति विमानवासी देवोंकी आगति एवं गुणोंकी प्राप्ति । __ और गुणोंकी प्राप्ति । ४२ देवोंकी आगति और गुणोंकी ४८ सर्वार्थसिद्धिविमानवासी प्राप्ति। देवोंकी आगति और गुणोंकी ४९४ प्राप्ति तथा सिद्धोंमें वुद्धिके ४३ भवनवासी, वानव्यन्तर अभावादिको माननेवाले और ज्योतिषी देव-देवियों मतोका निरसन । ५२८ ५०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.001400
Book TitleShatkhandagama Pustak 06
Original Sutra AuthorPushpadant, Bhutbali
AuthorHiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
PublisherJain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
Publication Year1943
Total Pages615
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & Karma
File Size13 MB
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